विरोधाभास MCQ Quiz - Objective Question with Answer for विरोधाभास - Download Free PDF
Last updated on May 29, 2025
Latest विरोधाभास MCQ Objective Questions
विरोधाभास Question 1:
विकसते मुरझाने को फूल, दीप जलता होने को मंद।
बरसते भर जाने को मेघ, उदय होता छिपने को चाँद। इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है-
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 1 Detailed Solution
विकसते मुरझाने को फूल, दीप जलता होने को मंद।
बरसते भर जाने को मेघ, उदय होता छिपने को चाँद। इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है- विरोधाभास
Key Pointsस्पष्टीकरण-
- "विकसते मुरझाने को फूल": फूल खिलता है लेकिन अंतत: मुरझा जाता है।
- "दीप जलता होने को मंद": दीप जलता है लेकिन धीरे-धीरे उसकी चमक कम हो जाती है।
- "बरसते भर जाने को मेघ": मेघ बरसते हैं और अंततः खत्म हो जाते हैं।
- "उदय होता छिपने को चाँद": चाँद उदय होता है लेकिन बाद में छिप जाता है।
- इन सभी कथनों में विपरीत विचारों का समावेश किया गया है, इसलिए यहाँ विरोधाभास अलंकार है।
Important Points
- जब किसी वस्तु का वर्णन करने पर विरोध नहीं होने पर भी विरोध का आभास होता है उसे ही विरोधाभास अलंकार कहते है।
- अर्थात जहाँ विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास प्रतीत होता हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है।
- उदाहरण- भर लाऊँ सीपी में सागर
- प्रिय ! मेरी अब हार विजय क्या ?
- (इस उदाहरण सीपी में भला सागर कैसे भरा जा सकता है इसिलए यंहा पर विरोध का आभास हो रहा है ? अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।)
Additional Information
यमक:-
उदाहरण -
रूपक:-
उदाहरण-
श्लेष:-
उदाहरण-
|
विरोधाभास Question 2:
या अनुरागी चित्त की गति समझौ नहिं कोय।
ज्यों-ज्यों बढ़ै स्याम रंग, त्यों त्यों उज्ज्वल होय।
अलंकार बताइए:
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 2 Detailed Solution
प्रस्तुत पंक्तियों में " विरोधाभास अलंकार" है
Key Points या अनुरागी चित्त की गति समझौ नहिं कोय।
ज्यों-ज्यों बढ़ै स्याम रंग, त्यों त्यों उज्ज्वल होय।
- इन पंक्तियों में अलंकार का प्रयोग विरोधाभास अलंकार (विरोधाभास अलंकार) के रूप में किया गया है।
- विरोधाभास अलंकार में दो या दो से अधिक शब्दों के बीच विरोध का वर्णन किया जाता है, जो कि एक अद्भुत या असाधारण भाव को प्रकट करता है।
- यहां, "स्याम रंग" के बारे में बताया गया है कि ज्यों-ज्यों यह बढ़ता है, त्यों-त्यों यह उज्ज्वल होता जाता है, जो कि एक विरोधाभास का उदाहरण है।
विरोधाभास अलंकार:
- परिभाषा: विरोधाभास अलंकार वह अलंकार है जहाँ दो परस्पर विरोधी विचारों, भावनाओं, या स्थितियों को साथ में प्रस्तुत किया जाता है ताकि एक नयी बात या गहरा संदेश प्रकाश में आए।
- उदाहरण :"जलते दीपक में अंधेरा नवीन, मरुथल में प्यासा मीन।"
Additional Information
-
अन्य विकल्प-
अलंकार परिभाषा पहचान उदाहरण रुपक अलंकार रूपक अलंकार वह अलंकार होता है जिसमें उपमेय और उपमान के बीच कोई अंतर नहीं होता है, या जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के अंतर को समाप्त करके उन्हें एक समान कर दिया जाता है। योजक चिन्ह (-)
जब किसी व्यक्ति वस्तु के बीच भेद न रह जाए
चरण-कमल बंदों हरि राइ यमक अलंकार जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है। एक ही शब्द, जब दो या दो से अधिक बार आये तथा उनका अर्थ अलग-अलग हो,तो वहाँ पर यमक अलंकार होता है । तो पर बारों उरबसी, सुन राधिके सुजान। तू मोहन के उरबसी, छबै उरबसी समान। Additional Information
अलंकार परिभाषा प्रकार शब्दालंकार जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। अनुप्रास
यमक
विप्सा
वक्रोक्ति
श्लेष।
अर्थालंकार जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है।
उपमा
रूपक
उत्प्रेक्षा
दृष्टांत
संदेह
अतिशयोक्ति
उपमेयोपमा
प्रतीप
विरोधाभास Question 3:
या अनुरागी चित्त की गति समझौ नहिं कोय।
ज्यों-ज्यों बढ़ै स्याम रंग, त्यों त्यों उज्ज्वल होय।
अलंकार बताइए:
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 3 Detailed Solution
प्रस्तुत पंक्तियों में " विरोधाभास अलंकार" है
Key Points या अनुरागी चित्त की गति समझौ नहिं कोय।
ज्यों-ज्यों बढ़ै स्याम रंग, त्यों त्यों उज्ज्वल होय।
- इन पंक्तियों में अलंकार का प्रयोग विरोधाभास अलंकार (विरोधाभास अलंकार) के रूप में किया गया है।
- विरोधाभास अलंकार में दो या दो से अधिक शब्दों के बीच विरोध का वर्णन किया जाता है, जो कि एक अद्भुत या असाधारण भाव को प्रकट करता है।
- यहां, "स्याम रंग" के बारे में बताया गया है कि ज्यों-ज्यों यह बढ़ता है, त्यों-त्यों यह उज्ज्वल होता जाता है, जो कि एक विरोधाभास का उदाहरण है।
विरोधाभास अलंकार:
- परिभाषा: विरोधाभास अलंकार वह अलंकार है जहाँ दो परस्पर विरोधी विचारों, भावनाओं, या स्थितियों को साथ में प्रस्तुत किया जाता है ताकि एक नयी बात या गहरा संदेश प्रकाश में आए।
- उदाहरण :"जलते दीपक में अंधेरा नवीन, मरुथल में प्यासा मीन।"
Additional Information
-
अन्य विकल्प-
अलंकार परिभाषा पहचान उदाहरण रुपक अलंकार रूपक अलंकार वह अलंकार होता है जिसमें उपमेय और उपमान के बीच कोई अंतर नहीं होता है, या जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के अंतर को समाप्त करके उन्हें एक समान कर दिया जाता है। योजक चिन्ह (-)
जब किसी व्यक्ति वस्तु के बीच भेद न रह जाए
चरण-कमल बंदों हरि राइ यमक अलंकार जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है। एक ही शब्द, जब दो या दो से अधिक बार आये तथा उनका अर्थ अलग-अलग हो,तो वहाँ पर यमक अलंकार होता है । तो पर बारों उरबसी, सुन राधिके सुजान। तू मोहन के उरबसी, छबै उरबसी समान। Additional Information
अलंकार परिभाषा प्रकार शब्दालंकार जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। अनुप्रास
यमक
विप्सा
वक्रोक्ति
श्लेष।
अर्थालंकार जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है।
उपमा
रूपक
उत्प्रेक्षा
दृष्टांत
संदेह
अतिशयोक्ति
उपमेयोपमा
प्रतीप
विरोधाभास Question 4:
यह अथाह पानी रखता है, यह सूखा-सा गात्र । इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है-
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 4 Detailed Solution
यह अथाह पानी रखता है, यह सूखा-सा गात्र । इस पंक्ति में अलंकार है- विरोधाभास
Key Points
- यहाँ पानी और सूखापन जैसे दो विरोधी तत्वों का एक साथ वर्णन किया गया है, अत: विरोधाभास अलंकार है।
- जब किसी वस्तु का वर्णन करने पर विरोध नहीं होने पर भी विरोध का आभास होता है उसे ही विरोधाभास अलंकार कहते है।
- अर्थात जहाँ विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास प्रतीत होता हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- बैन सुन्या जबते मधुर, तबते सुनत न बैन।
- (यहाँ पर ऐसा लग रहा है कि बैन सुन्या और सुनत न वैन में विरोध है, लेकिन यह विरोध प्रेम में डूबा ही प्रेमी का सूचक है। अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।)
Additional Information
विभावना:-
उदाहरण-
रूपक:-
उदाहरण -
यमक:-
उदाहरण-
|
विरोधाभास Question 5:
आई ऐसी अद्भुत वेला, ना रो सका न विहँस सका। इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है-
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 5 Detailed Solution
आई ऐसी अद्भुत वेला, ना रो सका न विहँस सका। इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है- विरोधाभास
Key Points
- इस पंक्ति ला, ना रो सका न "आई ऐसी अद्भुत वेविहँस सका" में विरोधाभास अलंकार है,
- क्योंकि यहाँ एक ही समय में दो विपरीत भाव (रोना और हँसना) प्रकट हो रहे हैं, जो विरोधाभासी लगते हैं।
- जब किसी वस्तु का वर्णन करने पर विरोध नहीं होने पर भी विरोध का आभास होता है उसे ही विरोधाभास अलंकार कहते है।
- अर्थात जहाँ विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास प्रतीत होता हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- बैन सुन्या जबते मधुर, तबते सुनत न बैन।
- (यहाँ पर ऐसा लग रहा है कि बैन सुन्या और सुनत न वैन में विरोध है, लेकिन यह विरोध प्रेम में डूबा ही प्रेमी का सूचक है। अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।)
Additional Information
रूपक:-
उदाहरण -
यमक:-
उदाहरण-
विभावना:-
उदाहरण-
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Top विरोधाभास MCQ Objective Questions
“तुम मांसहीन, तुम रक्तहीन, हे अस्थिशेष तुम अस्थिहीन,
तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुराण हे चिर नवीन।''
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त हुआ है ?
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्तियों में विरोधाभास अलंकार है। अतः विकल्प विरोधाभास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- जब दो विरोधी पदार्थों का संयोग एक साथ दिखाया जाय तो विरोधाभास अलंकार प्रस्तुत होता है।
- उपर्युक्त पंक्तियां सुमित्रानंदन पंत की है।
- यह पंक्तियां युगांत पल्लविनी (1936) कविता से हैं जो कि "बापू के प्रति" में संकलित हैं।
Additional Information
- मानवीकरण अलंकार
- परिभाषा :- जहां काव्य में चेतन-अचेतन अवस्था का संबंध तथा क्रियाकलापों को , मनुष्य के व्यवहार से जोड़कर प्रस्तुत किया जाता है वहां मानवीकरण अलंकार होता है।
- जहां बेजुबान में जान होने का संकेत मिले वहां मानवीकरण अलंकार की उपलब्धता होती है।
- श्रद्धानत तरुओं की अंजली से झरे पात , कोंपल के मूंदे नयन थर-थर-थर पुलकगात।
- (यहां वृक्ष और उसके शाखाओं को मानवीय व्यवहार से जोड़ा गया है )
- दृष्टान्त अलंकार
- जहाँ दो सामान्य या दोनों विशेष वाक्यों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव होता हो वहाँ पर दृष्टान्त अलंकार होता है।
- इस अलंकार में उपमेय रूप में कहीं गई बात से मिलती -जुलती बात उपमान रूप में दुसरे वाक्य में होती है।
- यह अलंकार उभयालंकार का भी एक अंग है।
- यह जीवन हो परीपुराण....पिर घन में ओझल हो शशी…….फिर शशी से ओझल हो घन।
- यहाँ सुख-दुःख तथा शशी-घन में बिंब प्रतिबिंब का भाव है इसलिए यहाँ दृष्टांत अलंकार है।
- विशेषण-विपर्यय अलंकार-
- जहाँ किसी वस्तु का विशेषण उससे संबंधित दूसरी वस्तु में विशेष अर्थ से संबंधित करने में प्रयुक्त किया जाता है, वहाँ विशेषण -विपर्यय अलंकार होता है।
- अब विकल रागिनी बजती।
- स्पष्टीकरण- यहाँ 'विकल' शब्द हृदय का विशेषण है परन्तु उसे रागिनी का विशेष बनाकर प्रयुक्त किया गया है।
बैन सुन्या जब ते मधुर, तबते सुनत न बैन। इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है -
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFबैन सुन्या जब ते मधुर, तबते सुनत न बैन। इस पंक्ति में अलंकार है - विरोधाभास
स्पष्टीकरण –
- यहाँ पर ऐसा लग रहा है कि बैन सुन्या और सुनत न वैन में विरोध है, लेकिन यह विरोध प्रेम में डूबा ही प्रेमी का सूचक है। अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।
Key Pointsविरोधाभास अलंकार-
- विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।
- उदाहरण-
- मोहब्बत एक मीठा ज़हर है।
Important Pointsयमक अलंकार-
- जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।
रूपक अलंकार-
- जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रूपक अलंकार कहलाता है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- (राम रतन को ही धन बता दिया गया है। ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है।)
श्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
तंत्री नाद कवित्व रस, सरस राग रति रंग। अनबूड़े बड़े तिरे, जे बूड़े सब अंग।। इस पंक्ति में कौन - सा अंलकार है -
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFतंत्री नाद कवित्व रस, सरस राग रति रंग। अनबूड़े बड़े तिरे, जे बूड़े सब अंग।। इस पंक्ति में अंलकार है - विरोधाभास
Key Pointsविरोधाभास अलंकार-
- विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।
- उदाहरण-
- मोहब्बत एक मीठा ज़हर है।
Important Pointsरूपक अलंकार-
- जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रूपक अलंकार कहलाता है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- (राम रतन को ही धन बता दिया गया है। ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है।)
श्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
विभावना अलंकार-
- बिना कारण के काम हो जाना अर्थात जहाँ किसी कार्य कारण के सम्बंध में कोई विलक्षण बात कही जाती है, तब वहाँ विभावना अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- "मुनि तापस जिन तें दुख लहहीं | ते नरेस बिनु पावक दहहीं ||
- "बिनु पग चलै सुनें बिनु काना।कर बिनु करम करै विधि नाना।।
"या अनुरागी चित्त की, गति समझै नहीं कोय।
ज्यों ज्यों बूडै स्याम रंग, त्यों त्यों उज्ज्वल होय।।"
इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFया अनुरागी चित्त की, गति समझै नहीं कोय।
ज्यों ज्यों बूडै स्याम रंग, त्यों त्यों उज्ज्वल होय।। में विरोधाभासअलंकार है।
Mistake Pointsया अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहिं कोई।
ज्यों-ज्यों बूडै स्याम रंग, त्यों-त्यों उज्जलु होइ॥
- दोहे में “ज्यों ज्यों ………………….. उज्जलु होय॥ में विरोधाभास अलंकार तथा ‘अनुरागी’ और ‘स्याम रँग’ में श्लेष अलंकार है।
- अतः प्रश्न में विरोधाभास अलंकार दिया हुआ है तो इसका उत्तर विरोधाभास अलंकार होगा।
Key Points
विरोधाभास-
- जहाँ बाहर से तो विरोध जान पड़े, किन्तु यथार्थ में विरोध न हो।
- जहाँ वास्तविक विरोध न होने पर भी विरोध का आभास हो वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है;
Important Points
विरोधाभास अलंकार के उदाहरण:-
|
Additional Informationभ्रांतिमान:- जहां पर समानता के कारण किसी वस्तु में अन्य वस्तु का भ्रम हो जाए वहां भ्रांतिमान अलंकार होता है।
उदाहरण- फिरत घरन नूतन पथिक चले चकित चित भागि।
फूल्यो देख पलास वन, समुहें समुझि दवागि ।।
उत्प्रेक्षा:- जहां संभावना व्यक्त करने वाले शब्द जनु,जानो,जानहुँ,मनु,मानौ,मनहुँ,मानहुँ,इव,निश्चय आदि शब्द आते हैं।
उदाहरण- उस काल मारे क्रोध के तनू काँपने उसका लगा।
मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा ॥
उपमा:- जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
उदाहरण- मुख चन्द्रमा-सा सुन्दर है।
उससे हारी होड़ लगाई। इस पंक्ति में कौन - सा अलंकार है-
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFउससे हारी होड़ लगाई। इस पंक्ति में अलंकार है- विरोधाभास
Key Pointsविरोधाभास अलंकार-
- विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।
- उदाहरण-
- मोहब्बत एक मीठा ज़हर है।
Important Pointsयमक अलंकार-
- जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।
रूपक अलंकार-
- जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रूपक अलंकार कहलाता है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- (राम रतन को ही धन बता दिया गया है। ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है।)
श्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
विषमय यह गोदावरी, अमृतम् फल देत । इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है -
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFविषमय यह गोदावरी, अमृतम् फल देत । इस पंक्ति में अलंकार है - विरोधाभास
Key Pointsविरोधाभास अलंकार-
- विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।
- उदाहरण-
- मोहब्बत एक मीठा ज़हर है।
Important Pointsयमक अलंकार-
- जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।
रूपक अलंकार-
- जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रूपक अलंकार कहलाता है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- (राम रतन को ही धन बता दिया गया है। ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है।)
श्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
पत्थर कुछ और मुलायम हो गया। इस पंक्ति में कौन - सा अलंकार है -
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFपत्थर कुछ और मुलायम हो गया। इस पंक्ति में अलंकार है - विरोधाभास
Key Pointsविरोधाभास अलंकार-
- विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।
- उदाहरण-
- मोहब्बत एक मीठा ज़हर है।
Important Points
यमक अलंकार-
- जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।
रूपक अलंकार-
- जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रूपक अलंकार कहलाता है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- (राम रतन को ही धन बता दिया गया है। ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है।)
श्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
विरोधाभास Question 13:
मैं अंधा भी देख रहा हूँ, रोती हो तुम रोती हो।
इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है-
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 13 Detailed Solution
सही उत्तर है - विरोधाभास।
Key Points
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
विरोधाभास |
विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है। |
मैं अंधा भी देख रहा हूँ, रोती हो तुम रोती हो। यहाँ अंधे द्वारा देखने की बात में विरोधी बात कही गयी है। |
विरोधाभास Question 14:
“तुम मांसहीन, तुम रक्तहीन, हे अस्थिशेष तुम अस्थिहीन,
तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुराण हे चिर नवीन।''
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त हुआ है ?
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 14 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियों में विरोधाभास अलंकार है। अतः विकल्प विरोधाभास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- जब दो विरोधी पदार्थों का संयोग एक साथ दिखाया जाय तो विरोधाभास अलंकार प्रस्तुत होता है।
- उपर्युक्त पंक्तियां सुमित्रानंदन पंत की है।
- यह पंक्तियां युगांत पल्लविनी (1936) कविता से हैं जो कि "बापू के प्रति" में संकलित हैं।
Additional Information
- मानवीकरण अलंकार
- परिभाषा :- जहां काव्य में चेतन-अचेतन अवस्था का संबंध तथा क्रियाकलापों को , मनुष्य के व्यवहार से जोड़कर प्रस्तुत किया जाता है वहां मानवीकरण अलंकार होता है।
- जहां बेजुबान में जान होने का संकेत मिले वहां मानवीकरण अलंकार की उपलब्धता होती है।
- श्रद्धानत तरुओं की अंजली से झरे पात , कोंपल के मूंदे नयन थर-थर-थर पुलकगात।
- (यहां वृक्ष और उसके शाखाओं को मानवीय व्यवहार से जोड़ा गया है )
- दृष्टान्त अलंकार
- जहाँ दो सामान्य या दोनों विशेष वाक्यों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव होता हो वहाँ पर दृष्टान्त अलंकार होता है।
- इस अलंकार में उपमेय रूप में कहीं गई बात से मिलती -जुलती बात उपमान रूप में दुसरे वाक्य में होती है।
- यह अलंकार उभयालंकार का भी एक अंग है।
- यह जीवन हो परीपुराण....पिर घन में ओझल हो शशी…….फिर शशी से ओझल हो घन।
- यहाँ सुख-दुःख तथा शशी-घन में बिंब प्रतिबिंब का भाव है इसलिए यहाँ दृष्टांत अलंकार है।
- विशेषण-विपर्यय अलंकार-
- जहाँ किसी वस्तु का विशेषण उससे संबंधित दूसरी वस्तु में विशेष अर्थ से संबंधित करने में प्रयुक्त किया जाता है, वहाँ विशेषण -विपर्यय अलंकार होता है।
- अब विकल रागिनी बजती।
- स्पष्टीकरण- यहाँ 'विकल' शब्द हृदय का विशेषण है परन्तु उसे रागिनी का विशेष बनाकर प्रयुक्त किया गया है।
विरोधाभास Question 15:
‘अचल दृग हो उठते चंचल। चपल पग हो जाते अविचल।’ इस पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार पहचानिए।
Answer (Detailed Solution Below)
विरोधाभास Question 15 Detailed Solution
उपर्युक्त अलंकार में विरोधाभास अलंकार प्रयुक्त हुआ है। यहाँ वाक्य में विरोध का आभास हो रहा है, परंतु विरोध नहीं हो रहा है। यहाँ विरोधाभास अलंकार होगा। अन्य विकल्प असंगत है। अत: सही विकल्प “विरोधाभास” ही होगा।
विशेष
अलंकार |
परिभाषा |
विरोधाभाष |
जहाँ वाक्य में विरोध का आभाष हो परन्तु विरोध ना हो। जैसे- बैन सुन्या जबते मधुर, तबते सुनत ना बैन। |
अन्य विकल्प
अलंकार |
परिभाषा |
भ्रांतिमान |
जहाँ किसी वस्तु को देखकर किसी विशेष साम्यता के कारण दूसरी वस्तु होने का भ्रम हो जाये, वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होगा। |
उपमा |
जब दो भिन्न वस्तुओं में समानता दिखाई जाती है। जैसे – कर कमल-सा कोमल है। |
संदेह |
जब उपमेय मे उपमान का संशय हो तो वहाँ संदेह अलंकार होगा। |