रीतिकाल MCQ Quiz - Objective Question with Answer for रीतिकाल - Download Free PDF
Last updated on Jun 16, 2025
Latest रीतिकाल MCQ Objective Questions
रीतिकाल Question 1:
'रसखान' का साहित्य इनमें से कौन सा नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 1 Detailed Solution
'रसखान' का साहित्य इनमें से नहीं है- शिवराज भूषण
- 'शिवराज भूषण', कवि भूषण की प्रसिद्ध रचना है।
Key Pointsशिवराज भूषण-
- रचनाकार- भूषण
- विधा- कविता
- विषय-
- इसमें शिवाजी के कार्यकलापों का वर्णन किया गया है।
Mistake Pointsदान लीला-
- रचनाकार- रसखान
- विधा- कविता
प्रेम वाटिका-
- रचनाकार- रसखान
- विधा- कविता
- दोहा - 53
- विषय-
- इस कृति में रसखान ने प्रेम का स्पष्ट रूप में चित्रण किया है।
सुजान रसखान-
- रचनाकार- रसखान
- विधा- कविता (सवैया)
Important Pointsरसखान-
- जन्म-1548-1628 ई.
- हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- मुख्य रचनाएँ-
- सुजान रसखान
- प्रेमवाटिका
- दान लीला
- रसखान दोहावली
- रसखान गीतावली
भूषण-
- जन्म- 1613-1715 ई.
- यह वीर रस के कवि थे।
- मुख्य रचनाएँ-
- शिवराजभूषण
- शिवाबावनी
- छत्रसालदशक
रीतिकाल Question 2:
'सुजान' से कौन प्रेम करते थे?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 2 Detailed Solution
'सुजान' से रसखान प्रेम करते थे।
Key Pointsसुजान रसखान-
- रचनाकार- रसखान
- विधा- कविता (सवैया)
- विषय - सुजान नाम की एक स्त्री से रीतिमुक्त कवि घनानंद प्रेम करते थे।
- घनानंद दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह के मीर मुंशी थे और सुजान नाम की नर्तकी या वेश्या से उनका प्रेम था।
Important Points रसखान-
- जन्म-1548-1628 ई.
- हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- मुख्य रचनाएँ-
- सुजान रसखान
- प्रेमवाटिका
- दान लीला
- रसखान दोहावली
- रसखान गीतावली
Additional Information आलम-
- रीतिकाल की रीतिमुक्त काव्य धारा के कवि रहे है।
- मुख्य रचनाएँ-
- माधवानल कामकंदला
- स्याम -सनेही
- सुदामाचरित
- आलमकेलि आदि।
बिहारी लाल -
- जन्म - 1595 - 1663 ई.
- बिहारीलाल चौबे या बिहारी हिंदी के रीति काल के प्रसिद्ध कवि थे।
- मुख्य रचनाएँ -
- बिहारी सतसई
घनानन्द-
- जन्म-1689-1739 ई.
- रीतिकाल की रीतिमुक्त धारा के महत्वपूर्ण कवि है।
- सम्प्रदाय-निम्बार्क
- आश्रयदाता-मुहम्मदशाह रंगीले
- प्रेयसी-सुजान
- रचनाएँ-
- वियोगबेलि
- इश्कलता
- सुजान हित प्रबंध
- प्रीतिपावस
- कृपाकन्द
- विरह लीला आदि।
रीतिकाल Question 3:
घनानंद किस भाषा में कविता करते थे ?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 3 Detailed Solution
घनानंद ब्रज भाषा में कविता करते थे।
Key Points
- घनानंद को "प्रेम की पीर" का कवि भी कहा जाता है,
- और उनकी कविताएँ प्रेम, विरह, और भावनाओं की गहराई को व्यक्त करने के लिए जानी जाती हैं,
- उनकी भाषा को "परिमार्जित और साहित्यिक ब्रजभाषा" माना जाता है,
- जिसमें कोमलता और मधुरता का चरम विकास दिखाई देता है।
Important Points घनानन्द-
- जन्म-1689-1739 ई.
- रीतिकाल की रीतिमुक्त धारा के महत्वपूर्ण कवि है।
- सम्प्रदाय-निम्बार्क
- आश्रयदाता-मुहम्मदशाह रंगीले
- प्रेयसी-सुजान
- रचनाएँ-
- वियोगबेलि
- इश्कलता
- सुजान हित प्रबंध
- प्रीतिपावस
- कृपाकन्द
- विरह लीला आदि।
Additional Informationब्रज-
- जिसे हिंदी में भाषा भी कहा जाता है, एक इंडो-आर्यन भाषा है जो पश्चिमी हिंदी की एक बोली है।
- यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में बोली जाती है, जिसमें मथुरा, आगरा, अलीगढ़ और एटा जैसे शहर शामिल हैं।
- ब्रज भाषा का साहित्य, विशेष रूप से भक्ति काल में, बहुत समृद्ध है,
- जिसमें सूरदास जैसे प्रसिद्ध कवियों ने कृष्ण भक्ति पर आधारित रचनाएँ लिखी हैं।
मगही-
- जिसे मागधी भी कहा जाता है, भारत के पूर्वी भाग में बोली जाने वाली एक इंडो-आर्यन भाषा है।
- यह मुख्य रूप से बिहार और झारखंड राज्यों में बोली जाती है,
- और इसका कुछ हिस्सा पश्चिम बंगाल और नेपाल में भी फैला हुआ है।
- मगही का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है, और इसे जैन और बौद्ध धर्म के ग्रंथों में भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
भोजपुरी-
- भोजपुरी एक इंडो-आर्यन भाषा है जो मुख्य रूप से भारत के बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों में बोली जाती है।
- यह भाषा पूर्वी इंडो-आर्यन भाषाओं के समूह से संबंधित है, और मगही और मैथिली के साथ बिहारी भाषाओं के रूप में समूहीकृत है।
- भोजपुरी को भारत के बाहर भी कई देशों में बोला जाता है, जैसे कि फिजी और मॉरीशस।
अवधी-
- एक Indo-Aryan भाषा है जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अवध क्षेत्र में बोली जाती है,
- और बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, नेपाल और मॉरीशस में भी पायी जाती है। यह हिंदी की एक उपभाषा मानी जाती है
- और इसका एक समृद्ध साहित्य है, जिसमें गोस्वामी तुलसीदास की "रामचरितमानस" एक प्रमुख रचना है।
रीतिकाल Question 4:
इनमें से कौन-सी रचना घनानन्द की है?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 4 Detailed Solution
इश्कलता,घनानन्द की रचना है।
- घनानंद की अन्य काव्य कृतियाँ- सुजान सार, इश्कलता, विरहलीला, कोक सार आदिI
Key Points
- काव्यमंजरी --> पदुमनदास
- विरह वारिश --> बोधा
- वृत्त कौमुदी --> मतिराम
Additional Information
घनानंद
- घनानंद (1673- 1760) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं - रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के कवि हैं।
- इन्हे सुजान नाम की नृतकी से प्रेम था, जिसके कारण इन्हें बाद में राजदरबार से निकाला गया। घनानंद प्रेम की पीड़ा के कवि है वियोग वर्णन में उनका मन अधिक रमा है।
- इनकी सर्वाधिक लोकप्रिय रचना सुजान हित है, जिसमें 507 पद हैं। इन में सुजान के प्रेम, रूप, विरह आदि का वर्णन हुआ है।
- छंद-विधान की दृष्टि से घनानंद ने कवित्त और सवैये ही अधिक लिखे हैं। वैसे उन्होंने दोहे और चौपाइयां भी लिखी हैं।
- रस की दृष्टि से घनानंद का काव्य मुख्यतः श्रृंगार रस प्रधान है। इनमें वियोग श्रृंगार की प्रधानता है। घनानंद को भाषा में चित्रात्मकता और वाग्विदग्धता का गुण भी आ गया है।
इनकी कृतियाँ-
सुजानहित |
प्रेमसरोवर |
सुषमा |
कृष्णकौमुदी |
रसनायश |
कृपाकंदनिबंध |
व्रजविलास |
गोकुलगीत |
घामचमत्कार |
गोकुलविनोद |
वियोगबेलि |
रसवसंत |
नाममाधुरी |
प्रियाप्रसाद |
मुरलिकामोद |
इश्कलता |
अनुभवचंद्रिका |
गिरिपूजन |
वृंदावनमुद्रा |
मनोरथमंजरी |
यमुनायश |
रंगबधाई |
विचारसार |
व्रजस्वरूप |
व्रजव्यवहार |
प्रीतिपावस |
प्रेमपद्धति |
दानघटा |
गोकुलचरित्र |
गिरिगाथा |
छंदाष्टक |
व्रजवर्णन |
प्रेमपत्रिक |
भावनाप्रकाश |
प्रेमपहेली |
रीतिकाल Question 5:
सुखदेव मिश्र कृत 'अध्यात्म प्रकाश' का प्रकाशन वर्ष है?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 5 Detailed Solution
सुखदेव मिश्र कृत 'अध्यात्म प्रकाश' का प्रकाशन वर्ष है- 1698 ई.
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निम्नलिखित में से कौन रीतिकालीन कवि है?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFदिये गए विकल्पों में से विकल्प 4 ’भूषण‘ सही उत्तर है। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं।
स्पष्टीकरण:
महाकवि भूषण- रीतिकालीन के तीन प्रमुख हिन्दी कवियों में से एक हैं, अन्य दो कवि हैं बिहारी तथा केशव। रीति काल में जब सब कवि शृंगार रस में रचना कर रहे थे, वीर रस में प्रमुखता से रचना कर भूषण ने अपने को सबसे अलग साबित किया। 'भूषण' की उपाधि उन्हें चित्रकूट के राजा रूद्रसाह के पुत्र हृदयराम ने प्रदान की थी।
अन्य विकल्प:
कवी |
युग |
सुमित्रानन्दन पन्त |
छायावादी युग |
दिनकर |
वीर रस |
हरिऔध |
द्विवेदी युग |
विशेष:
कवि- वह है जो भावों को रसाभिषिक्त अभिव्यक्ति देता है और सामान्य अथवा स्पष्ट के परे गहन यथार्थ का वर्णन करता है। |
निम्न में से कौन-सी केशवदास जी की रचना नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFकेशवदास जी की रचना नहीं है- 'देव माया प्रवंच'
- कवि देव की रचना- 'देव माया प्रवंच'
- केशवदास जी काव्यसंग्रह की रचना है-
- वीरसिंहदेव चरित
- जहाँगीर जसचंद्रिका
- नखशिख
Key Pointsअन्य काव्यसंग्रह:-
- रसिकप्रिया
- कविप्रिया
- छंदमाला
- रामचंद्रिका
- रतनबावनी
- विज्ञानगीता
Important Points
नाम | केशवदास |
जन्म | 1555 |
जन्म स्थान | बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश |
मृत्यु | 1617 |
भाषा | संस्कृत |
कर्म-क्षेत्र | लेखक, कवि |
Additional Informationकवि देव की अन्य रचनाएँ:-
- भावविलास
- अष्टयाम
- भवानीविलास
- रसविलास
- प्रेमचंद्रिका
- राग रत्नाकर
- सुजानविनोद
- जगद्दर्शन पचीसी
- आत्मदर्शन पचीसी
- तत्वदर्शन पचीसी
निम्न में से किस कवि ने 'लक्षण ग्रन्थ' नहीं लिखा?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF'बिहारी लाल' कवि ने लक्षण ग्रन्थ की रचना नहीं की। अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- बिहारी ने सिर्फ एक रचना लिखी जिसका नाम है: बिहारी सतसई
- काव्य या साहित्य के लक्षणों का विवेचन करनेवाला ग्रंथ लक्षण ग्रंथ कहलाता है।
- दूसरे शब्दों में, लक्षण ग्रन्थ का अर्थ साहित्यिक समीक्षा की पुस्तक या 'समालोचना शास्त्र' है।
Important Points
- देव कवि की प्रमुख रचनाएं - भाव विलास , प्रेमचन्द्रिका , शब्दरसायन , अष्टयाम ,जातिविलास , आदि।
- पद्माकर की प्रमुख रचनाएं - गंगालहरी , प्रबोध पचासा , पद्माभरन , आदि।
- भूषण की रचनाएँ: शिवराजभूषण, शिवाबावनी, छत्रसालदशक, भूषण उल्लास, भूषण हजारा, दूषनोल्लासा। परन्तु इनमें शिवराज भूषण, छत्रसाल दशक व शिवा बावनी ही उपलब्ध हैं।
"जदपि सुजाति सुलच्छनी, सुबरन सरस सुवृत्त।
भूषण बिनु न बिराजई, कविता बनिता मित्त।।”
अलंकार को परिभाषित करने वाली उपर्युक्त पंक्तियाँ किस कवि की हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्तियां केशव दास जी की हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प केशवदास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- केशवदास जी ने उपर्युक्त पंक्तियां अलंकारों के बारे में कही है।
- अर्थात श्रेष्ठ गुणी होने पर भी कविता और बनिता(स्त्री) आभूषणों(अलंकारों) के बिना शोभा नही देते हैं।
- केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं :
- रसिकप्रिया, कविप्रिया, नखशिख, छंदमाला, रामचंद्रिका, वीरसिंहदेव चरित, रतनबावनी, विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका।
- सेनापति
- सेनापति भक्ति काल एवं रीति काल के सन्धियुग के कवि हैं।
- इनके ऋतु वर्णन में सूक्ष्म प्रकृति निरीक्षण पाया जाता है जो साहित्य में अद्वितीय है।
- सेनापति के दो मुख्य ग्रंथ हैं- 'काव्य-कल्पद्रुम तथा 'कवित्त-रत्नाकर।
- चमत्कार प्रियता नायिका भेद के उदाहरण भी उनकी कृतियों में उपलब्ध है।
- दण्डी
- दण्डी संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं।
- किंवदंती और सुभाषित के अनुसार दंडी की तीन रचनाएँ विश्रुत बताई गई हैं।
- 'काव्यादर्श'
- 'दशकुमारचरित'
- दंडी अलंकार संप्रदाय से संबद्ध थे।
- दंडी प्रथम आचार्य थे जिन्होंने वैदर्भी तथा गौड़ी रीति के पारस्परिक अंतर को स्पष्ट किया तथा इसका संबंध गुण से स्थापित किया।
- बिहारी लाल
- अतिशयोक्ति, अन्योक्ति और सांगरूपक बिहारी के विशेष प्रिय अलंकार हैं।
- अन्योक्ति अलंकार का एक उदाहरण -
- स्वारथ सुकृत न श्रम वृथा देखु विहंग विचारि। बाज पराये पानि पर तू पच्छीनु न मारि।।
- मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरी सोइ। जा तन की झाई पारे, श्यामु-हरित-दुति होइ ॥
कौन-सी रचना केशवदास की नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFभाषाभूषण, केशवदास की रचना नही है।
- भाषा भूषण : जसवंत सिंह
- जसवंत सिंह के रचित ग्रंथ-भाषाभूषण,अपरीक्षसिद्धांत,अनुभवप्रकाश,आनंदविलास,सिद्धांतबोध,सिद्धांतसार और प्रबोधचंद्रोदय आदि प्रसिद्ध हैं।
Important Points
- केशव या केशवदास (जन्म 1555 विक्रमी और मृत्यु1618 विक्रमी) हिन्दी साहित्य के रीतिकाल की कवि-त्रयी के एक प्रमुख स्तंभ हैं।
- वे संस्कृत काव्यशास्त्र का सम्यक् परिचय कराने वाले हिंदी के प्राचीन आचार्य और कवि हैं।
- केशव अलंकार सम्प्रदायवादी आचार्य कवि थे। इसलिये स्वाभाविक था कि वे भामह, उद्भट और दंडी आदि अलंकार सम्प्रदाय के आचार्यों का अनुसरण करते।
Additional Information
- केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं :
- रसिकप्रिया (1591)
- कविप्रिया (1601)
- नखशिख
- छंदमाला
- रामचंद्रिका (1601)
- वीरसिंहदेव चरित (1607)
- रतनबावनी (1607)
- विज्ञानगीता (1607)
- जहाँगीर जसचंद्रिका (1612)
रीतिकाल को 'अलंकृत काल' नाम किसने दिया?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF"रीतिकाल" को "अलंकृत काल" नाम "मिश्र बंधु" ने दिया है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) मिश्र बंधु सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- मिश्र बंधु के अनुसार अलंकृत काल को दो भागों में बांटा गया है:-
- पूर्वालंकृत काल (1681-1790)
- उत्तरालंकृत काल (1781-1889)
Important Points
- रीतिकाल (1650-1850)
- इसे विशेषत: तात्कालिक दरबारी संस्कृति और संस्कृत साहित्य से उत्तेजना मिली।
- हिंदी में 'रीति' या 'काव्यरीति' शब्द का प्रयोग काव्यशास्त्र के लिए हुआ था।
- रीतिकाल की तीन काव्य धाराएं हैं:-
- रीतिबद्ध काव्य
- रीति सिद्ध काव्य
- रीतिमुक्त काव्य
रीतिकाल के प्रमुख कवि वह उनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं:-
Additional Information
रीतिकाल के अन्य नाम व उनके प्रस्तोता:-
“बालि को सपूत कपिकुल पुरहूत,
रघुवीर जू को दूत भरि रूप विकराल को।'
उपर्युक्त काव्य-पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त काव्य पंक्तियां सेनापति की हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) सेनापति सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- सेनापति भक्ति काल एवं रीति काल के सन्धियुग के कवि हैं।
- इनके ऋतु वर्णन में सूक्ष्म प्रकृति निरीक्षण पाया जाता है जो साहित्य में अद्वितीय है।
- सेनापति के दो मुख्य ग्रंथ हैं- 'काव्य-कल्पद्रुम तथा 'कवित्त-रत्नाकर।
- चमत्कार प्रियता नायिका भेद के उदाहरण भी उनकी कृतियों में उपलब्ध है।
- कवित्तरत्नाकर' संवत् 1706 में लिखा गया और यह एक प्रौढ़ काव्य है।
- यह पाँच तरंगों में विभाजित है।
- प्रथम तरंग में 97 कवित्त हैं, द्वितीय में 74, तृतीय में 62 और 8 कुंडलिया, चतुर्थ में 76 और पंचम में 88 छंद हैं।
- इस प्रकार कुल मिलाकर इस ग्रंथ में 405 छंद हैं।
Additional Information
- केशवदास रचित ग्रंथ: रसिकप्रिया, कविप्रिया, नखशिख, छंदमाला, रामचंद्रिका, वीरसिंहदेव चरित, रतनबावनी, विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका।
- तुलसीदास के ग्रन्थों की रचनाएँ:-
- रामललानहछू(1582), वैराग्यसंदीपनी(1612), रामाज्ञाप्रश्न(1612), जानकी-मंगल(1582), रामचरितमानस(1574), सतसई, पार्वती-मंगल(1582), गीतावली(1571), विनय-पत्रिका(1582), कृष्ण-गीतावली(1571), बरवै रामायण(1612), दोहावली(1583) और कवितावली(1612)
- मतिराम, हिंदी के प्रसिद्ध ब्रजभाषा कवि थे। इनके द्वारा रचित "रसराज" और "ललित ललाम" नामक दो ग्रंथ हैं।
राजनीतिक रूप से रीतिकाल मुगलों के शासन के वैभव के:
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFराजनीतिक रूप से रीतिकाल मुगलों के शासन वैभव के चरमोत्कर्ष के बाद उत्तरोत्तर ह्रास और पतन का युग है। अतः उपयुक्त विकल्पों में से विकल्प "चरम उत्कर्ष के बाद उत्तरोत्तर ह्रास और पतन का युग सही है' तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- मुगलों के शासन काल का प्रारंभ बाबर द्वारा 1526 ईस्वी में हुआ । अंतिम सशक्त शासक औरंगजेब (1658 -1707 ईस्वी) था।
- इसी समय में रीतिकाल 1643 -1843 तक माना गया है।
- अतः समय और राजनीतिक रुप दोनों आधारों पर रीतिकाल मुगलों के उत्तरोत्तर ह्रास और पतन का युग है।
- रीतिकाल की तीन काव्य धाराएं हैं:-
- रीतिबद्ध काव्य
- रीति सिद्ध काव्य
- रीतिमुक्त काव्य
Additional Information
रीतिकाल के प्रमुख कवि वह उनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं:-
निम्नलिखित में से रीतिकाल के कवि हैं-
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF'वृंद' रीतिकाल के कवि हैं, अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 3 'वृंद' सही उत्तर होगा।
Key Points
- रीतिकालीन परंपरा के अंन्तर्गत वृन्द जी का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है।
- इनका पूरा नाम वृन्दावनदास था।
- वृन्द जी को कविताओं के माध्यम से कई बार सम्मानित पुरस्कारों से नवाजा गया।
- इसके चलते वृन्द जी का कविता के विषय में मनोवल बढता गया और वृन्द जी श्रेष्ठ कवि के रूप में पहिचाने जाने लगे।
- ‘वृंद-सतसई कवि वृन्द जी की सबसे प्रसद्धि रचनाओं में से एक है. जिसमें 700 दोहे हैं।
Additional Information
- हिन्दी साहित्य का उत्तर मध्यकाल रीतिकाल कहलाता है,रीतिकाल समृद्धि और विलासिता का काल कहा जाता है।
- हिंदी साहित्य में सम्वत् 1700 से 1900 (वर्ष 1643ई. से 1843 ई. तक) का समय रीतिकाल के नाम से जाना जाता है ।
- भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का पूर्व मध्यकाल और रीतिकाल को उत्तर-मध्य काल भी कहा जाता है ।
- भक्ति काल और रीति काल दोनों के काल को हिंदी साहित्य का मध्यकाल कहा जा सकता है ।
- रीतिकाल के कवियों में केशवदास और चिंतामणि का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है ।
- सर्वामान्य रूप से केशवदास को ही रीतिकाल का प्रवर्त्तक कवि माना गया है ।
- रीतिकाल के कवियों को मुख्यत: तीन वर्गों में रखा गया है :-
- रीतिग्रंथकार कवि या लक्षण बद्ध कवि या रीतिबद्ध कवि
- रीतिसिद्ध कवि
- रीतिमुक्त कवि
'बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय' पंक्ति के रचयिता हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
रीतिकाल Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF- प्रस्तुत दोहा कवि बिहारी लाल के दोहों से लिया गया है। अत: सही विकल्प 'बिहारी' है।
- इस दोहे में कवि ने कृष्ण और गोपियों के बीच चल रही सरस ठिठोली का मनोहरी चित्र अंकित किया है।
- गोपियाँ अपने परम प्रिय कृष्ण से बातें करने का अवसर खोजती रहती हैं।
- इसी बतरस को पाने के प्रयास में उन्होंने कृष्ण की वंशी को छिपा दिया है। कृष्ण वंशी के खो जाने पर बड़े व्याकुल हैं।
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
संयोग शृंगार रस |
जब नायक नायिका के परस्पर मिलन, स्पर्श, आलिंगन, वार्तालाप आदि का वर्णन होता है तब वहां पर संयोग श्रृंगार रस होता है। |
हुए थे नैनो के क्या इशारे इधर हमारे उधर तुम्हारे। चले थे अश्कों के क्या फवारे इधर हमारे उधर तुम्हारे।। |
Important Points
- बिहारी एक मात्र ऐसे कवि हैं जो रीति सिद्ध की सूचि में आते हैI
- बिहारी की एकमात्र रचना बिहारी सतसई है जिसमे 719 दोहे हैI
- बिहारी का जन्म 1595 ई. माना गया हैI
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