रूपक MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for रूपक - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക
Last updated on Mar 28, 2025
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रूपक Question 1:
'राम कृपा भव-निसा सिरानी' में कौन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 1 Detailed Solution
- राम कृपा भव-निसा सिरानी में रूपक अलंकार है।
- इस पंक्ति में कवि यह कह रहे है कि संसार रूपी रात्रि भगवान की कृपा से व्यतीत हो रही है।
- इस पंक्ति में रात्रि पर संसार का आरोप किया गया है, इसलिए यहाँ रुपक अलंकार है।
- दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि रात और संसार में कोई भेद नहीं होने के कारण दोनों एकाकार हो गयें है, इसे ही उपमेय पर उपमान का आरोप कहतें हैं।
Key Points
रूपक अलंकार की मुख्य परिभाषा -
- उपमेय पर उपमान का आरोप या उपमान और उपमेय का अभेद ही 'रूपक' है।
- जब उपमेय पर उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है।
- उपमेय में उपमान के आरोप का अर्थ है- दोनों में अभिन्नता या अभेद दिखाना। इस आरोप में निषेध नहीं होता है।
- जैसे- यह जीवन क्या है ? निर्झर है।''
- इस उदाहरण में जीवन को निर्झर के समान न बताकर जीवन को ही निर्झर कहा गया है। अतएव, यहाँ रूपक अलंकार हुआ।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा अलंकार |
जब किसी वस्तु की तुलना किसी दूसरी वस्तु से की जाती है, और यह बताया जाता है कि वह पहली वस्तु दूसरी वस्तु की तरह ही है, तो यह उपमा अलंकार होता है। |
उसका मुख चन्द्रमा-सा सुन्दर है। (उपमेय = मुख, उपमान = चन्द्रमा, साधारण धर्म = सुंदरता, वाचक शब्द = सा) |
श्लेष अलंकार |
श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं, तब श्लेष अलंकार होता है। |
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जहां उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना प्रकट की जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इस अलंकार में जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि शब्द आते है। |
उस वक्त मारे क्रोध के तनु कांपने उनका लगा |
रूपक Question 2:
चरण कमल बंदौ हरिराई - इस पंक्ति में कौन - सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 2 Detailed Solution
"चरण कमल बंदौ हरिराई" - इस पंक्ति में 'रूपक अलंकार' है। शेष विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- "चरण कमल बंदौ हरिराई" - इस पंक्ति में 'रूपक अलंकार' है।
- इस पंक्ति में रूपक अलंकार है क्योंकि चरणों की तुलना कमल से की गयी है।
- जहाँ उपमेय (चरण ) को उपमान (कमल ) के रूप में कर दिया जाए वहाँ रूपक अलंकार होता है
प्रकार | परिभाषा | उदाहरण |
'रूपक अलंकार' | जहां उपमेय में उपमान का आरोप किया जाए वहाँ रूपक अलंकार होता है। | गोपी पद-पंकज पावन कि रज जामे सिर भीजे- पैरों- उपमेय पर कमल- उपमान का आरोप है, इसलिए यहां रूपक अलंकार है। |
Additional Information
प्रकार | परिभाषा | उदाहरण |
उपमा अलंकार | जब दो अलग अलग वस्तुओं में उनके रूप, गुण, व समान धर्म के कारण समानता दिखाई जाती है वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। | हरि पद कोमल कमल से -यहाँ हरि के पैरों को कमल के समान कोमल बताया गया है। |
यमक अलंकार | जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है। | कनक-कनक ते सौ गुनी , मादकता अधिकाय। या खाए बौराय जग, या पाए बौराय। |
विरोधाभास अलंकार | जब किसी वस्तु का वर्णन करने पर विरोध नहीं होने पर भी विरोध का आभास होता है, वहाँ पर 'विरोधाभास अलंकार' होता है। | बैन सुन्या जबतें मधुर, तबतें सुनत न बैन। |
रूपक Question 3:
उपमान और उपमेय का अभेद क्या कहलाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 3 Detailed Solution
'उपमान और उपमेय' का अभेद को रूपक कहलाता हैं सही विकल्प 2 हैं अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- जब उपमेय और उपमान का भेद रहित आरोप होता हैं वहाँ पर रूपक अलंकार होता हैं।
- रूपक अलंकार अर्थालंकार का एक प्रकार हैं।
- रूपक अलंकार में उपमेय और उपमान के मध्य योजक चिन्ह(-) लगा रहता हैं।
- जैसे- मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों।
- उपरोक्त पंक्तियों में चन्द्र अर्थात् चन्द्रमा(उपमेय) पर खिलौना(उपमान) का आरोप लगाया गया है अतः यहाँ रूपक अलंकार हैं।
अन्य विकल्प-
- उपमा अलंकार- जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु से की जाती है या उपमेय कि तुलना उपमान से की जाती हैं वहाँ पर उपमा अलंकार होता हैं।
- उपमा अलंकार प्रतीप अलंकार का उल्टा होता है।
- उपमा अलंकार में वाचक शब्दों का प्रयोग होता हैं जैसे- सा, सी,से, सो, सरिश, सदृश, सम, तुल्य, जिमि, जैसा, जैसी, जैसे, नाई आदि।
उदाहरण - काम-सा रूप, प्रताप दिनेस-सा सोम-सा शील है राम महीप का।
- भ्रांतिमान अलंकार- जब उपमेय में उपमान के होने का भ्रम उत्पन्न हो जाए या जहाँ एक वस्तु(उपमेय) को देखकर दूसरी वस्तु(उपमान) का भ्रम हो जाए वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता हैं। जैसे- जानि श्याम घनश्याम को नाचि उठे वन मोर।
- भ्रांतिमान अलंकार में भ्रम, भ्राति, जानि, मानि, समुझि आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं।
उत्प्रेक्षा अलंकार- जहाँ उपमान के न होने पर उपमेय. को ही उपमान मान लिया जाए अर्थात जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना प्रकट की जाए वह उत्प्रेक्ष अलंकार होता हैं।
- उत्प्रेक्षा अलंकार के पहचनाने के लिए प्रयोग होने वाले वाचक शब्द- जनु, जानो, जनहु, मनु, मानों, मनहुँ, जान पड़ता, ज्यों मकु, इव, इच्छा आदि शब्द आते पंक्तियों में प्रयुक्त होते हैं। जैसे- रहिमन पुतरी श्याम कि मनहुँ जलज मधुकर लसै।
Additional Information
- अलंकार- काव्य की सोभा बढ़ाने वाले शब्द/ अर्थ को अलंकार कहते हैं।
- अलंकार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
- शब्दालंकार- जहाँ शब्दों के प्रयोग से काव्य में चमत्कार उत्पन्न हो वहाँ पर शब्दालंकार होता हैं।शब्दालंकार के मुख्यतः 7 भेद होते हैं।
- जैसे- अनुप्रास, यमक, श्लेष, वक्रोक्ति, वीप्सा आदि।
- अर्थालंकार- जहाँ पर अर्थ के आधार पर काव्य में चमत्कार उत्पन्न हो वहाँ पर अर्थालंकार होता हैं। जैसे- उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा मानवीकरण, विरोधाभाष, संदेह, अतिशयोक्ति, भ्रांतिमान, विभावना, आदि।
रूपक Question 4:
'अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा-नागरी' में कौन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 4 Detailed Solution
- अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घाट ऊषा-नागरी में 'रुपक' अलंकार है।
- अतः 'रुपक' सही विकल्प होगा। अन्य सभी विकल्प असंगत है।
अलंकार का नाम | पहचान | उदाहरण |
रुपक | उपमेय में उपमान का आरोप। | मुख चन्द्र है। |
उत्प्रेक्षा | उपमेय में उपमान की संभावना। | मुख मानो चन्द्र है। |
उपमा | भिन्न पदार्थी का सादृश्य प्रतिपादन। | मुख चन्द्र सा सुन्दर है। |
अन्योक्ति | अप्रतुत(प्रतीकों) के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन। | नाहि पराग नहि मधुर मधु,..... |
Additional Information
- अलंकार का शाब्दिक अर्थ है 'आभूषण'।जिस प्रकार स्वर्ण के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है।
- उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की।
- 'काव्य शोभाकरान धर्मान अलंकारं प्रचक्षते'।
रूपक Question 5:
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्दालंकार नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 5 Detailed Solution
रूपक, शब्दालंकार नहीं है।Key Points
- अलंकार- 'काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते है'।
- अलंकार के भेद- 3 भेद होते।
- शब्दालंकार।
- अर्थालंकार।
- आधुनिक या उभयालंकार।
- रूपक अलंकार- जहां उपमेय में उपमान का आरोप किया जाए वहाँ रूपक अलंकार होता है।
- उदाहरण- मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।
Additional Informationशब्दालंकार- जिसमें शब्द के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार शब्दालंकार कहलाते है।
शब्दालंकार- 5 भेद।
- अनुप्रास अलंकार।
- यमक अलंकार।
- श्लेष अलंकार।
- वक्रोक्ति अलंकार।
- वीप्सा अलंकार।
अर्थालंकार- जिसमें अर्थ के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार अर्थालंकार कहलाते है।
अर्थालंकार के भेद-
- उपमा अलंकार।
- उत्प्रेक्षा अलंकार।
- रूपक अलंकार।
- भ्रान्तिमान अलंकार।
- अतिश्योक्ति अलंकार, आदि।
रूपक Question 6:
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें, जो दिए गए पद्य के उचित अलंकार रूप का सबसे अच्छा विकल्प है।
बीती विभावरी जाग री। अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा-नागरी।Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 6 Detailed Solution
सही उत्तर ‘रूपक अलंकार’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- बीती विभावरी जाग री। अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा-नागरी।’ इस काव्य पंक्तियों में रूपक अलंकार है क्योंकि यहां 'अम्बर-पनघट' 'तारा-घट' एवं 'ऊषा-नगरी' को उपमेय उपमान माना गया है।
- जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल थल में। |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
उत्प्रेक्षा |
उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात। मनहु नीलमणि सैल पर, आवत परयो प्रभात। |
रूपक Question 7:
अम्बर पनघट में डूबो रही तारा - घट उषा - नागरी में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 7 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘रूपक अलंकार’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- बीती विभावरी जाग री। अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा-नागरी।’ इस काव्य पंक्तियों में रूपक अलंकार है क्योंकि यहां 'अम्बर-पनघट' 'तारा-घट' एवं 'ऊषा-नगरी' को उपमेय उपमान माना गया है।
- जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
अतिशयोक्ति |
जहाँ किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। |
हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग, सारी लंका जरि गई, गए निशाचर भाग। |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
उत्प्रेक्षा |
उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात। मनहु नीलमणि सैल पर, आवत परयो प्रभात। |
रूपक Question 8:
"चरण - कमल बंदौ हरि राई।" निम्नलिखित पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 8 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 'रूपक अलंकार' है। अन्य सभी विकल्प असंगत है।
Key Points
रूपक अलंकार - जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए। जैसे - मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों में चन्द्रमा और खिलौने में समानता न दिखाकर चन्द्र को ही खिलौना बोल दिया गया है।
अन्य विकल्प :
अलंकार |
परिभाषा एव उदाहरण |
श्लेष अलंकार |
जब एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ निकलते हों। जैसे - रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ‘पानी’ गए न ऊबरे मोती मानस चून’ यहाँ ‘पानी’ मोती के सन्दर्भ में ‘चमक’, मनुष्य के सन्दर्भ में ‘विनम्रता’ तथा ‘चून (आटा)’ के सन्दर्भ में ‘जल अर्थात पानी’ है। |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
मुख मानो चन्द्रमा है में मुख को चंद्रमा कहा जा रहा है। |
अतिशयोक्ति अलंकार |
जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए। जैसे – आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार , तब तक चेतक था उस पार। यहाँ चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। |
रूपक Question 9:
निम्न पंक्तियों में रूपक अलंकार का कौन-सा उदाहरण है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 9 Detailed Solution
उपरोक्त विकल्पों में रूपक अलंकार का उदाहरण है- 'चरण कमल बंदौ रघुराई'
- यहाँ पर हरि के चरण को कमल का रूप दिया गया है, अतः यहां रूपक अलंकार है।
Key Pointsरूपक अलंकार:-
- जहां किन्हीं दो व्यक्ति या वस्तुओं में इतनी समानता हो कि दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाए वहां रूपक अलंकार होता है।
- जैसे:- वन शारदी चंद्रिका-चादर ओढ़े।
Important Points रूपक अलंकार का अन्य उदाहरण:-
- मैया ! मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों।
- राम कृपा भव-निसा सिरानी।
- प्रेम-सलिल से द्वेष का सारा मल धुल जाएगा।
- चरण-सरोज पखारन लागा।
- प्रभात यौवन है वक्ष-सर में कमल भी विकसित हुआ है कैसा।
- बंदौं गुरुपद-पदुम परागा सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।
- पायो जी मैंने नाम-रतन धन पायो।
Additional Informationउत्प्रेक्षा अलंकार:-
- जहां पर एक विषय, वस्तु, भाव, रूप या गुण आदि को किसी दूसरे विषय, वस्तु, भाव, रूप या गुण के समान बताने का संभावित प्रयास किया जाता है।
- इसमें संभावना की प्रधानता होती है, उसे उत्प्रेक्षा अलंकार कहते है।
- यदि पंक्ति में - मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि आता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- जैसे- ले चला साथ मैं तुझे कनक ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक
यमक अलंकार:-
- जब एक शब्द दो बार आये और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग हो तो वहाँ पर यमक अलंकार होता है।
- जैसे- तीन बेर खाती थी वो तीन बेर खाती है।
लाटानुप्रास अलंकार:-
- किसी शब्द या वाक्य खंड की आवृत्ति दूसरी लाइन में उसी रूप में हो, लेकिन दूसरी लाइन में वाक्य का अर्थ बदल जाये उसे लाटानुप्रास अलंकार कहते है।
- जैसे- वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे
- इसमें 'मनुष्य' शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। दोनों का अर्थ 'आदमी' है। पर तात्पर्य या अन्वय में भेद है। पहला मनुष्य कर्ता है और दूसरा सम्प्रदान।
रूपक Question 10:
‘चरण-कमल बंदौ हरि राई!’ किस अलंकार का उदाहरण है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 10 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘रुपक अलंकार’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- ‘चरण-कमल बंदौ हरि राई!’ यहाँ रूपक अलंकार है।
- यहां श्रीकृष्ण के चरणों को कमल रूपी बताया गया है अर्थात उपमेय उपमान के रूप में प्रदर्शित किया गया है।
- जहां उपमेय को उपमान के रूप में बताया जाए वहां रूपक अलंकार होता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल थल में |
यमक |
जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है। |
तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं। |