उत्प्रेक्षा MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for उत्प्रेक्षा - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക
Last updated on Mar 27, 2025
Latest उत्प्रेक्षा MCQ Objective Questions
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उत्प्रेक्षा Question 1:
“सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गाता
मनहु नील मणि शैल पर, आतप परयो प्रभाता।”
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 1 Detailed Solution
दी गयी पंक्ति में ‘मनहु’ शब्द का प्रयोग है। इस शब्द का प्रयोग ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ में किया जाता है। उत्प्रेक्षा अलंकार अर्थात जहां प्रस्तुत उप में के अप्रस्तुत उपमान की संभावना व्यक्ति की जाए वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है जैसे वृक्ष ताड़ का बढ़ता जाता मानो नभ को छूना चाहता। इस में ‘मानो, मानहु, मनहु, मनु, जानो, जनहु, जानहु इत्यादि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। अतः सही विकल्प उत्प्रेक्षा है।
अन्य विकल्प
उपमा अलंकार में किसी वस्तु की तुलना सामान्य गुण धर्म के आधार पर वाचक शब्दों से अभिव्यक्त होकर किसी अन्य वस्तु से की जाती है। जैसे : पीपर पात सरिस मन डोला। |
रूपक अलंकार अर्थात जहां उपमेय और उपमान भिन्नता हो और वह एक रूप दिखाई दे जैसे : चरण कमल बंदों हरि राइ। |
यहां उसी वस्तु के समान दूसरी वस्तु की संदेह हो जाए लेकिन वह निश्चित आत्मक ज्ञान में ना बदले वहाँ संदेह अलंकार होता है। |
उत्प्रेक्षा Question 2:
उपमेय में उपमान की संभावना होने पर अलंकार क्या होगा?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 2 Detailed Solution
- उपमेय में उपमान की संभावना होने पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है ।
- अर्थालंकार - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, असंगति, विरोधाभास आदि ।
Key Points
- यमक - जहाँ एक शब्द कई बार आए परन्तु अर्थ भिन्न - भिन्न रहे ।
- श्लेष - जहाँ एक ही शब्द के कई अर्थ लिए जाएँ ।
- रूपक- जहाँ उपमेय और उपमान में पूर्ण समानता बताई जाए ।
- उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण - यह मुख मानो चंद्रमा है ।
उत्प्रेक्षा Question 3:
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें, जो दिए गए पद्य के उचित अलंकार रूप का सबसे अच्छा विकल्प है।
ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 3 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 4 ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ है। अन्य सभी विकल्प इसके अनुचित उत्तर होंगे।
Key Points
- उपर्युक्त काव्य पंक्ति में ‘ज्यों’ शब्द का प्रयोग हुआ है एवं कनक – उपमेय में स्वर्ण – उपमान के होने कि कल्पना हो रही है।
- अतएव यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- यदि पंक्ति में -मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि आता है, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उत्प्रेक्षा |
जहां समानता के कारण उपमेय में संभावना या कल्पना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात। मनहुँ नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात। |
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
यमक |
यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृति होती है। |
कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी |
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल थल में |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
उत्प्रेक्षा Question 4:
अति कटु बचन कहती कैकई, मानहु लोन जरे पर देई। इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 4 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्ति मे उत्प्रेक्षा अलंकार होगा। अत: विकल्प 4) उत्प्रेक्षा सही विकल्प होगा।
अलंकार |
परिभाषा |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जहाँ उपमेय में उपमान के होने की संभावना का वर्णन होता हो। जैसे - मुख मानो चन्द्रमा है में मुख को चंद्रमा कहा जा रहा है |
अन्य विकल्प
उत्प्रेक्षा Question 5:
लता भवन ते प्रगट भे, तेहि अवसर दोउ भाई।
निकसे जनु जुग विमल विधु जलद पटल विलगाई।।
में कौन सा अलंकार है। सही विकल्प चुनिए?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 5 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
- 'लता भवन ते प्रगट भे, तेहि अवसर दोउ भाइ। निकसे जनु जुग विमल विधु, जलद पटल विलगाइ।' इस काव्य पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
- साधारण नियम के अनुसार दी गई काव्य पंक्ति में 'जनु' शब्द के कारण भी उत्प्रेक्षा अलंकार होगा।
- जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना की जाती हैं, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- यदि पंक्ति में -मनु, जनु, मेरे, जानते, मनहु, मानो, निश्चय, ईव आदि आता है, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
श्लेष |
जहां पर किसी एक शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग हो, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। |
मधुवन की छाती को देखो, सूखी कितनी इसकी कलियाँ। |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल थल में। |
Additional Information
- अलंकार का अर्थ है-‘आभूषण’।
- जैसे आभूषण सौन्दर्य को बढ़ाने में सहायक होते हैं, उसी प्रकार काव्य में अलंकारों का प्रयोग करने से काव्य की शोभा बढ़ जाती है।
- अत: काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्त्वों को अलंकार कहते हैं।
उत्प्रेक्षा Question 6:
जहां पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए, वहाँ कौन सा अलंकार होता है।
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 6 Detailed Solution
जहां पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ ‘उत्प्रेक्षा’ अलंकार होता है। अतः इसका सही उत्तर विकल्प 2 ‘उत्प्रेक्षा’ होगा। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
स्पष्टीकरण:
उत्प्रेक्षा |
उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात। मनहु नीलमणि सैल पर, आवत परयो प्रभात।। |
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन |
अतिश्योक्ति |
जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये तो वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है। |
लहरें व्योम चूमती उठती देख लो साकेत नगरी है यही! स्वर्ग से मिलने गगन जा रही हैं!! |
श्लेष |
जहां पर किसी एक शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग हो, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। |
मधुवान की छाती को देखो, सुखी कितनी इसकी कलियाँ। |
उत्प्रेक्षा Question 7:
निम्नलिखित में से किन पंक्तियों में ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ है?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 7 Detailed Solution
"अस कही कुटिल भई उठि ठाढ़ी | मानहूँ रोष तरंगिनी बाढ़ी ||" पंक्तियों में ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ है। अन्य विकल्प असंगत हैं। Key Points
- अस कही कुटिल भई उठि ठाढ़ी | मानहूँ रोष तरंगिनी बाढ़ी ||
- इस पंक्ति में मानहूँ शब्द का प्रयोग हुआ है।
- इसलिए यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
Important Points
शब्द | परिभाषा | उदाहरण |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। पहचान- जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि। शब्द अगर किसी अलंकार में आते है तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पर, स्याम सलोने गात। मनहु नील मनि सैण पर, आतप परयौ प्रभात।। |
उत्प्रेक्षा Question 8:
'जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना हो' वहाँ कौन सा अलंकार होता है ?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 8 Detailed Solution
उत्प्रेक्षा अलंकार
- जब समानता होने के कारण उपमेय में उपमान के होने कि कल्पना की जाए या संभावना हो तब वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- यदि पंक्ति में -मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि आता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उदाहरण
- ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।
- ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कनक का अर्थ धतुरा है। कवि कहता है कि वह धतूरे को ऐसे ले चला मानो कोई भिक्षु सोना ले जा रहा हो।
- काव्यांश में ‘ज्यों’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है एवं कनक -उपमेय में स्वर्ण - उपमान के होने कि कल्पना हो रही है। अतएव यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।
Important Points
- श्लेष अलंकार
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है।
- श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं:
- सभंग श्लेष
- अभंग श्लेष
- असंगति अलंकार
- कारण और कार्य में संगति न होने पर असंगति अलंकार होता है ।
- जैसे
- हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरै ।
- घाव तो लक्ष्मण के हृदय में है , पर पीड़ा राम को है , अत: असंगति अलंकार है ।
- अन्योक्ति अलंकार
- जहां उपमान के माध्यम से उपमेय का वर्णन हो। उपमान अप्रस्तुत एवं उपमेय प्रस्तुत हो , वहां अन्योक्ति अलंकार होता है।
- इस अलंकार को अप्रस्तुत प्रशंसा भी कहते हैं।
- रूपक
- रूपक साहित्य में एक प्रकार का अर्थालंकार है जिसमें बहुत अधिक साम्य के आधार पर प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप करके अर्थात् उपमेय या उपमान के साधर्म्य का आरोप करके और दोंनों भेदों का अभाव दिखाते हुए उपमेय या उपमान के रूप में ही वर्णन किया जाता है।
- इसके सांग रूपक, अभेद रुपक, तद्रूप रूपक, न्यून रूपक, परम्परित रूपक आदि अनेक भेद हैं।
उत्प्रेक्षा Question 9:
झुककर मैंने पूछ लिया, खा गया मानो झटका। इस पंक्ति में कौन - सा अलंकार है -
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 9 Detailed Solution
झुककर मैंने पूछ लिया, खा गया मानो झटका। इस पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
Key Pointsउत्प्रेक्षा अलंकार-
- जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- पहचान - जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि।
- उदाहरण-
- ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।
Important Pointsयमक अलंकार-
- जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।
रूपक अलंकार-
- जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रूपक अलंकार कहलाता है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- (राम रतन को ही धन बता दिया गया है। ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है।)
श्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
उत्प्रेक्षा Question 10:
निम्नलिखित काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात।
मनहु नीलमणि सैल पर, आवत परयो प्रभात।
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 10 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 'उत्प्रेक्षा अलंकार’ होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
- 'सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात। मनहुं नीलमनि सैल पर, आपत परयौ प्रभात।' इस काव्य पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- इसमें श्रीकृष्ण के सुन्दर श्याम शरीर में नीलमणि पर्वत की auर उनके शरीर पर शोभायमान पीताम्बर में प्रभात की धूप की मनोरम सम्भावना अथवा कल्पना की गई है।
- जहां उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- इसके बोधक शब्द हैं– मनो, मानो, मनु, मनहु, जानो, जनु, जनहु, ज्यों आदि।
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल थल में। |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
रूपक |
जहां उपमेय को उपमान के रूप में बताया जाए वहाँ रूपक अलंकार होता है। |
अपलक नभ नील नयन विशाल। |
अलंकार |
काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं। अर्थात जिन गुण धर्मों द्वारा काव्य की शोभा बढ़ाई जाती है, उन्हें अलंकार कहा जाता है। इसके दो भेद हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। |