7वीं शताब्दी में, दक्षिण भारत में भक्ति कवियों के एक समूह अलवर और नयनार के आगमन के साथ मध्यकालीन भारतीय साहित्य का उदय हुआ। इन कवियों ने शास्त्रीय संस्कृत और तमिल साहित्य से अलग एक साहित्यिक परंपरा तैयार की। भारतीय साहित्य में मध्यकालीन काल को दो महत्वपूर्ण चरणों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
इस लेख में यूपीएससी आईएएस परीक्षा और यूपीएससी इतिहास वैकल्पिक परीक्षा के लिए मध्यकालीन साहित्य के बारे में जानें।
मध्यकालीन भारत में फ़ारसी साहित्य का बहुत महत्व था। इस समय फ़ारसी में कई अच्छी किताबें लिखी गईं।
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भारत में उर्दू साहित्य का इतिहास बहुत पुराना है, जिसकी शुरुआत मध्यकाल से होती है। इस दौरान उर्दू में कई मशहूर किताबें लिखी गईं।
मध्यकाल से हिंदी साहित्य का समृद्ध इतिहास रहा है। इस काल में हिंदी भाषा में अनेक प्रसिद्ध पुस्तकें लिखी गईं।
मध्यकालीन काल में भारत की कई क्षेत्रीय भाषाओं में साहित्य का विकास हुआ। इस काल में तमिल, कन्नड़, तेलुगु, बंगाली, मराठी और हिंदी के विभिन्न रूपों में उल्लेखनीय कृतियाँ सामने आईं। साहित्य के इस काल को हम मध्यकालीन साहित्य कहते हैं।
भारत में मध्यकालीन साहित्य में कई महान कृतियों का उदय हुआ। लेखकों ने उस समय विभिन्न भाषाओं में कविताएँ, कहानियाँ और ऐतिहासिक ग्रंथ रचे। उनके लेखन में विभिन्न संस्कृतियों के प्रभाव शामिल थे, जबकि समकालीन भारतीय समाज के लिए प्रासंगिक विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। भारत के मध्यकालीन लेखकों द्वारा रचित कृतियों ने सदियों बाद भी विविध साहित्यिक परंपराओं को समृद्ध किया। सरल लेकिन शक्तिशाली भाषा के साथ कहानियों को बुनने में उनकी रचनात्मकता और कौशल आज भी आधुनिक पाठकों को प्रेरित करते हैं।
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