आच्छादन का सिद्धांत (Doctrine of Eclipse in Hindi) एक ऐसा सिद्धांत है जो मौलिक अधिकारों के संभावित होने की अवधारणा को कायम रखता है। यदि विधायिका द्वारा बनाया गया कोई कानून संविधान के भाग III के साथ असंगत है, तो ऐसे कानून को अमान्य और निष्क्रिय माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह मौलिक अधिकारों से संगत बना रहता है और कहा जाता है कि इस पर आच्छादन का सिद्धांत (Doctrine of Eclipse) का असर पड़ता है। संबंधित मौलिक अधिकार में संशोधन होने पर ही आच्छादित किए गए कानून की विसंगति को दूर किया जा सकता है। जब ग्रहण हट जाता है तो कानून अपने आप वैध और सक्रिय हो जाता है।
सरल शब्दों में, मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला कानून एक आच्छादन की स्थिति में रहता है जो इसे निष्क्रिय और अप्रवर्तनीय बना देता है। इस लेख के माध्यम से यूपीएससी परीक्षा के दृष्टिकोण से भारतीय राजव्यवस्था विषय के अंतर्गत आने वाले आच्छादन का सिद्धांत (Doctrine of Eclipse in Hindi) का अध्ययन करें।
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सिद्धांत की महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैं:
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