अन्योक्ति MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for अन्योक्ति - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Mar 27, 2025

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Latest अन्योक्ति MCQ Objective Questions

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अन्योक्ति Question 1:

नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल ।
अली कली ही सौ बंधयों आगे कौन हवाल ।।

  1. रूपक
  2. अन्योक्ति
  3. विशेषोक्ति
  4. अनुप्रास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अन्योक्ति

अन्योक्ति Question 1 Detailed Solution

नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल ।
अली कली ही सौ बंधयों आगे कौन हवाल ।। - अन्योक्ति

Key Points

  • अप्रस्तुत अली (भौंरा) प्रस्तुत राजा एवं अप्रस्तुत कली के माध्यम से प्रस्तुत रानी का उल्लेख किया गया है, इसलिए यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।
    • इस पंक्ति में राजा जयसिंह और उसकी रानी का वर्णन भंवरा पराग और मधु के माध्यम से हुई है।
  • जहाँ पर पर्याप्त कारणों के होते हुए भी कार्य सम्पूर्ण न हो
  • अर्थात कार्य होने के सम्पूर्ण कारण होने पर भी उस कार्य को सम्पन्न ना किया जाए तो वहाँ पर विशेषोक्ति अलंकार होता है।
  • यह अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है।
  • उदाहरण -​ नीर भरे निसिदिन रहें तऊ न प्यास बुझय।
    • (इस काव्य में प्यास बुझाने के लिए नीर अथवा पानी उपस्थित है
      • परन्तु प्यास बुझाने का कार्य सम्पन्न नही हो पा रहा है अतः विशेषोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।)

Additional Information

रूपक:-

  • जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रूपक अलंकार कहलाता है।

उदाहरण-

  • मन-सागर, मनसालहरि, बूड़े-बहे अनेक 
  • (यहाँ पर मन (उपमेय) पर सागर (उपमान) का और मनसा यानी इच्छा (उपमेय) पर लहर (उपमान) का आरोप है, इसलिए यह रूपक अलंकार है।)

विशेषोक्ति:-

  • जहां किसी काम के लिए प्रबल कारण होने के बावजूद भी वह काम न हो, वहां विशेषोक्ति अलंकार होता है

उदाहरण-

  • पानी बिच मीन, मीन पियासी ।
  • मोहि सुनि-सुनि, आवै हाँसी ॥
  • (यहाँ पर ‘मीन’ पानी के बीच भी प्यासी है। यहाँ ‘कारण’ पानी होते हुए भी कार्य (प्यास बुझाना) नहीं हो रहा है।)

अनुप्रास:-

  • जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।

उदाहरण -

  • रघुपति राघव राजा राम।
  • (यहाँ पर  वर्ण की आवृति हो रही है।)

अन्योक्ति Question 2:

स्वारथ सुकृत श्रम वृथा, देखु विहंग विचार।

बाज पराये पानि पर तू पच्छीनु न मार।।

उपरोक्त पंक्ति में अलंकार ज्ञात कीजिए।

  1. अन्योक्ति

  2. उपमा
  3. अतिशयोक्ति
  4. संदेह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 :

अन्योक्ति

अन्योक्ति Question 2 Detailed Solution

उपरोक्त पंक्ति में अन्योक्ति अलंकार है। यह अर्थालंकार का एक प्रकार है।

 

Key Points

जहां किसी की बात किसी और पर डाल कर कही जाए, वहां अन्योक्ति अलंकार होता है।

अन्य उदाहरण:- क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो।

                       उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो।Additional Information

उपमा अलंकार:-  जहां उपमेय और उपमान में गुण, रूप या चमत्कृत सौंदर्यमुल सादृश्य का प्रतिपादन किया जाए, वहां उपमा अलंकार होता है।

संदेह अलंकार:- रूप रंग आदि का सादृष्य होने पर उपमेय में उपमान का संशय होने में संदेह अलंकार होता है।

अन्योक्ति Question 3:

निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?

माली आवत देखकर, कलियन करी पुकार,

फूले-फूले चुन लिए, काल्हि हमारी बार।

  1. अतिशयोक्ति अलंकार
  2. समासोक्ति अलंकार
  3. अन्योक्ति अलंकार
  4. वक्रोक्ति अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अन्योक्ति अलंकार

अन्योक्ति Question 3 Detailed Solution

उपरोक्त पद्यांश में 'अन्योक्ति अलंकर' है अत: सही उत्तर विकल्प 3 'अन्योक्ति अलंकार' होगा अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं 

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  • अन्योक्ति अलंकार-  यहाँ पर अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है। जैसे - “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल। अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”

​अन्य विकल्प  - 

  • अतिशयोक्ति अलंकार - जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए। जैसे - आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार , तब तक चेतक था उस पार। यहाँ चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है।
  • समासोक्ति अलंकार - जहाँ पर कार्य, लिंग या विशेषण की समानता के कारण प्रस्तुत के कथन में अप्रस्तुत व्यवहा रका समारोप होता है अथवा अप्रस्तुत का स्फुरण होता है, वहाँ समासोक्ति अलंकार होता है
  • वक्रोक्ति अलंकार - जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अभिप्रेत अर्थ ग्रहण न कर श्रोता अन्य ही कल्पित या चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, उसे वक्रोक्ति कहते हैं।

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अलंकार - काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं।

अन्योक्ति Question 4:

'केरा तबहिं न चेतिया जब ढिग लागी बेरि, अब के चेते का भयो काँटनि लीन्हो घेरि'- पंक्ति में है:

  1. उपमा अलंकार
  2. अन्योक्ति अलंकार
  3. विषेशोक्ति अलंकार
  4. अतिशयोक्ति अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अन्योक्ति अलंकार

अन्योक्ति Question 4 Detailed Solution

सही उत्तर है - ‘अन्योक्ति अलंकार’।

  • ‘केरा तबहिं न चेतिया जब ढिग लागी बेरि, अब के चेते का भयो काँटनि लीन्हो घेरि’- पंक्ति में ‘अन्योक्ति अलंकार’ है।
  • उपरोक्त पंक्ति में केले के वृक्ष से कहा गया है कि उसने पहले अपने निकट लगी बेरी की जड़ी की चिंता नहीं की, अब जब काँटों ने उसे घेर लिया है तब वह चिंतित है।
    वस्तुतः यहाँ व्यक्ति से कहा गया है कि उसने पहले तो अपने अन्दर उपजे अवगुणों की अनदेखी की और जब अवगुणों ने जकड लिया तो वह परेशान है,
    अत: अन्योक्ति अलंकर है।

Key Points

  • जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय, या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, या जहाँ अप्रस्तुत कथन के माध्यम से प्रस्तुत का बोध हो,
    वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।

अन्य विकल्प :

  • उपमा अलंकार: उप का अर्थ है समीप से और पा का अर्थ है तोलना या देखना। अतः जब दो भिन्न वस्तुओं में समानता दिखाई जाती है,
    तब वहाँ उपमा अलंकार होता है।
    जैसे:
    कर कमल-सा कोमल है ।
    स्पष्टीकरण:
    यहाँ पैरों को कमल के समान कोमल बताया गया है। अतः यहाँ उपमा अलंकार होगा।

  • विषेशोक्ति अलंकार : जहाँ पर पर्याप्त कारणों के होते हुए भी कार्य सम्पूर्ण न हो अर्थात कार्य होने के सम्पूर्ण कारण होने पर भी उस कार्य को सम्पन्न ना किया जाए
    तो वहाँ पर विशेषोक्ति अलंकार होता है।
    जैसे:
    विशेषोक्ति अलंकार के उदाहरण
    सोवत जागत सपन बस, रस रिस चैन कुचैन। 
    सुरति श्याम घन की सुरति, बिसराये बिसरै न।।
    स्पष्टीकरण:
    उपर्युक्त दिए गए वाक्य में भुलाने के कारण के होते हुए भी भुला पाना कठिन हो गया तथा कारण के होते हुए भी कार्य सम्पन्न नही हुआ
    अतः यह विशेषोक्ति अलंकार का उदाहरण होगा।

  • अतिशयोक्ति अलंकार : जब किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का वर्णन बहुत बाधा चढ़ा कर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
    जैसे :
    आगे नदियां पड़ी अपार घोडा कैसे उतरे पार।
    राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार।।
    स्पष्टीकरण:
    यह महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की अतिशयोक्ति है एवं इस तथ्य को लोक सीमा से बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है।
    अतः यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

Additional Informationअलंकार:

  • अलंकार, कविता के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। जिस प्रकार आभूषण से नारी का लावण्य बढ़ जाता है,
    उसी प्रका अलंकार से कविता की शोभा बढ़ जाती है।
  • शब्द तथा अर्थ की जिस विशेषता से काव्य का श्रृंगार होता है उसे ही अलंकार कहते हैं।
  • अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिश्योक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं। इसके अलावा अन्य अलंकार भी हैं।

अन्योक्ति Question 5:

माली आवत देखकर, कलियन करी पुकार फूली-फूली चुनि लई, काल्हि हमारी बार। इसमें अलंकार है:

  1. दृष्टान्त
  2. सन्देह
  3. श्लेष
  4. अन्योक्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अन्योक्ति

अन्योक्ति Question 5 Detailed Solution

उपरोक्त पद्यांश में 'अन्योक्ति अलंकार' है 
Key Points

अन्योक्ति अलंकार-  यहाँ पर अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।
जैसे - “
माली आवत देखकर, कलियन करी पुकार फूली-फूली चुनि लई, काल्हि हमारी बार।
अन्य विकल्प :

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

श्लेष अलंकार

जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है।

“रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून

पानी गये न ऊबरे, मोती मानुस चून ”

संदेह अलंकार

उपमेय में जब उपमान का संशय हो तब उसे संदेह अलंकार कहते हैं।

जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति को देख कर संशय बना रहें, निश्चय न हो वहाँ सन्देह अलंकार होता है।

 

जैसे – यह काया है या शेष उसी की छाया,
क्षण भर उनकी कुछ नहीं समझ में आया। -साकेत

अन्योक्ति अलंकार

'अन्योक्ति' का अर्थ है- "अन्य के प्रति कही गई उक्ति"। इस अलंकार में अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन किया जाता है। 

जैसे – अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”

दृष्टांत अलंकार 

जहाँ दो सामान्य या दोनों विशेष वाक्यों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव होता हो वहाँ पर दृष्टान्त अलंकार होता है।

जैसे – जो रहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग
       चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग ।

अन्योक्ति Question 6:

निम्नलिखित पंक्तियों में निहित अलंकार बताएं:

इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।

अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

  1. अतिशयोक्ति अलंकार
  2. श्‍्लेष अलंकार 
  3. रूपक अलंकार
  4. अन्योक्ति अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अन्योक्ति अलंकार

अन्योक्ति Question 6 Detailed Solution

उपरोक्त पंक्तियों में 'अन्योक्ति' अलंकर है। अतः सही उत्तर विकल्प 4 'अन्योक्ति अलंकार है।

Key Points

'इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।

अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।'

  • उपरोक्त पंक्ति में  बिहारी कहते हैं कि वसन्त ऋतु (खुशहाली) फिर से आएगी। इसी आशा में भौंरा गुलाब की सूखी/ कंटीली शाखाओं पर अटका रहता है, अत: अन्योक्ति अलंकार है

  • अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन करने वाले काव्य अन्योक्ति अलंकार कहलाते है।

अन्य विकल्प - 

  • श्लेष अलंकार - श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ।  जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है। यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
  • अतिश्योक्ति अलंकार -  जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
  • रूपक अलंकार - जहां उपमेय और उपमान भिन्नता हो और वह एक रूप दिखाई दे जैसे चरण कमल बंदों हरि राइ।

Additional Information

अलंकार

अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है।

जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार

काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार

 

 

अन्योक्ति Question 7:

"नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल।

अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।” में उपस्थित अलंकार बताइए:

  1. उत्प्रेक्षा अलंकार
  2. अतिशयोक्ति अलंकार
  3. मानवीकरण अलंकार
  4. अन्योक्ति अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अन्योक्ति अलंकार

अन्योक्ति Question 7 Detailed Solution

उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प अन्योक्ति अलंकार इसका सही उत्तर है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

Key Points

  • नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल।, अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।, पंक्तियों में अन्योक्ति अलंकार है।
  • उपर्युक्त उदाहरण में अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।
  • जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति को लक्ष्य कर कही जाने वाली बात दूसरे के लिए कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।

Additional Information

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

उत्प्रेक्षा

जहाँ उपमेय में उपमान के होने की संभावना का वर्णन हो तब वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

ले चला साथ मैं तुझे कनक।
ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।

अतिशयोक्ति​

जब किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का वर्णन बहुत बाधा चढ़ा कर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है। 

हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग, लंका सिगरी जल गई गए निशाचर भाग।

मानवीकरण

जब प्राकृतिक चीज़ों में मानवीय भावनाओं के होने का वर्णन हो तब वहां मानवीकरण अलंकार होता है।

 फूल हँसे कलियाँ मुस्कुराई। 

अन्योक्ति Question 8:

फूलों के आस-पास रहते हैं, फिर भी काँटे उदास रहते हैं।

दी गई पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ? 

  1. विषेशोक्ति अलंकार
  2. अन्योक्ति अलंकार
  3. अतिश्योक्ति अलंकार
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अन्योक्ति अलंकार

अन्योक्ति Question 8 Detailed Solution

दी गई पंक्ति में "अन्योक्ति अलंकार" है। अन्‍य व‍िकल्‍प असंगत हैं। 

Key Points

  • फूलों के आस-पास रहते हैं, फिर भी काँटे उदास रहते हैं।
  • यहॉं पर कांटो को कहीं जाने वाली बात फूलों के माध्यम से कहीं गई है। 
  • अत: यहॉं अन्योक्ति अलंकार है। 
अलंकार  परिभाषा उदाहरण 
अन्योक्ति अलंकार जहां पर उक्ति के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति को कहीं जाने वाली बात किसी दूसरे व्यक्ति को कहीं जाए , वहां अन्योक्ति अलंकार होता है।

फूलों के आस-पास रहते हैं, फिर भी काँटे उदास रहते हैं।

Additional Informationअन्‍य विकल्‍प-

अलंकार  परिभाषा  उदाहरण
अतिशयोक्ति  जहॉं किसी विषय या वस्‍तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चमत्‍कारपूर्ण वर्णन किया जाए, वहॉं अतिशयोक्ति अलंकार होता है।

हनुमान की पूंछ में लग न पाई आग, लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।

विषेशोक्ति  कारण के उपस्थित रहने पर भी जब कोई कार्य का न होना वर्णित किया जाए, तब वहां विषेशोक्ति अलंकार कहलाता है। 

सोवत जागत सपन बस, रस रिस चैन कुचैन। सुरति श्याम घन की सुरति, बिसराये बिसरै न।।

श्‍लेष  श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं, तब श्लेष अलंकार होता है। रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।

अन्योक्ति Question 9:

'नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं बिकास इहि काल। अली कली ही सो बिन्ध्यौ, आगे कौन हवाल’ में कौन-सा अलंकार है?

  1. अन्योक्ति अलंकार
  2. दृष्टान्त अलंकार
  3. वीप्सा अलंकार
  4. इनमें से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अन्योक्ति अलंकार

अन्योक्ति Question 9 Detailed Solution

जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति को लक्ष्य कर कही जाने वाली बात दूसरे के लिए कही जाए, वहाँ ‘अन्योक्ति अलंकार’ होता है। जहाँ किसी बात को स्पष्ट करने के लिए सादृश्यमूलक दृष्टांत प्रस्तुत किया जाता है, वहाँ दृष्टान्त अलंकार होता है। जब किसी कथन में अत्यंत आदर के साथ एक साथ की अनेक बार आवृत्ति होती है तो वहाँ वीप्सा अलंकार होता है। अतः सही विकल्प अन्योक्ति अलंकार है।

अन्योक्ति Question 10:

नहीं पराग नहीं मधुर मधु, नहीं विकास इहि काल। अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।। इसमें कौन-सा अलंकार है?

  1. संदेह
  2. अन्योक्ति
  3. रूपक
  4. अतिशयोक्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अन्योक्ति

अन्योक्ति Question 10 Detailed Solution

नहीं पराग नहीं मधुर मधु, नहीं विकास इहि काल। अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।। इसमें अलंकार है- अन्योक्ति

Key Points

  • इस छंद में कवि ने परिस्थिति का वर्णन परोक्ष रूप में किया है, जो अन्योक्ति अलंकार को दर्शाता है।
  • उन्होंने कवि ने पराग न होने, मधु न होने, विकास न होने, और कली के कारण भ्रमर की स्थिति का वर्णन किया है,
  • जिससे अन्योक्ति अलंकार का सटीक प्रयोग होता है।

Important Pointsअन्योक्ति अलंकार:-

  • जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। 

उदाहरण-  

  • फूलों के आस- पास रहते हैं 
  • फिर भी काँटे उदास रहते हैं।
  • (वाक्य में कांटो के बारे में युक्ति के माध्यम से वर्णन किया गया है अतः अन्योक्ति अलंकार का उदाहरण होगा।)

Additional Information 

सन्देह:-

  • जब सादृश्य के कारण एक वस्तु में अनेक वस्तु के होने की संभावना दिखायी पड़े और निश्चय न हो पाये, तब संदेह अलंकार माना जाता है।

उदाहरण-

  • कहहिं सप्रेम एक एक पाहीं।
  • राम-लखन सखि। होहिं कि नाहीं।।
  • (यहाँ भरत-शत्रुघ्न को देखकर ग्रामों की स्त्रियों को, सादृश्य के कारण, उनके राम-लक्ष्मण होने का संदेह होता है।)

रूपक:-

  • जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रूपक अलंकार कहलाता है।

उदाहरण -

  • मुनि पद कमल बंदिदोउ भ्राता।
  • (यहाँ मुनि के चरणों (उपमेय) पर कमल (उपमान) का आरोप है, इसलिए यहां रूपक अलंकार है।)

अतिशयोक्ति:-

  • जब किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का वर्णन बहुत बाधा चढ़ा कर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
  • इस अलंकार में नामुमकिन तथ्य बोले जाते हैं।

उदाहरण-

  • ​ हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग।
  • लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।
  • (स्पष्टीकरण – पूँछ में आग लगने से पहले लंका का जलना अतिशयोक्ति है।)
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