निर्गुण संत काव्य और कवि MCQ Quiz - Objective Question with Answer for निर्गुण संत काव्य और कवि - Download Free PDF
Last updated on Jun 18, 2025
Latest निर्गुण संत काव्य और कवि MCQ Objective Questions
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 1:
कबीरदास की भाषा थी
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 1 Detailed Solution
- कबीरदास की भाषा सधुक्कड़ी थी।
Key Points
- कबीरदास की भाषा सधुक्कड़ी एवं पंचमेल खिचड़ी है।
- अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Additional Information
- कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे।
- वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे।
- वे हिन्दू धर्म व इस्लाम को न मानते हुए धर्म निरपेक्ष थे।
- उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की थी।
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 2:
कबीरदास की वाणियों की भाषा कौन-सी है?
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 2 Detailed Solution
कबीरदास की वाणियों की भाषा है- सधुक्कड़ी
- सधुक्कड़ी भाषा, मध्ययुगीन भारत की एक स्थानीय बोली थी।
- यह हिन्दी, हरियाणवी, ब्रज, अवधी, भोजपुरी, मारवाड़ी, और पंजाबी भाषाओं का मिश्रण है।
- इसे 'पंचमेल खिचड़ी' भी कहा जाता है. कबीरदास, मीराबाई, बाबा फ़रीद,
- और शाह लतीफ़ जैसे कवियों ने इस भाषा का इस्तेमाल किया था।
Key Points
- कबीरदास की भाषा सधुक्कड़ी एवं पंचमेल खिचड़ी है।
- इनकी भाषा में हिंदी भाषा की सभी बोलियों के शब्द सम्मिलित हैं।
- राजस्थानी, हरयाणवी, पंजाबी, खड़ी बोली, अवधी, ब्रजभाषा के शब्दों की बहुलता है।
- पश्चिमी हिंदी का विकास शौरसैनी अपभ्रंश से हुआ है।
- इसके अंतर्गत पाँच बोलियाँ हैं –
- खड़ी बोली, हरियाणी, ब्रज, कन्नौजी और बुंदेली।
Important Pointsकबीरदास-
- जन्म - 1398 - 1518 (लगभग)
- कबीर सन्त कवि और समाज सुधारक थे।
- कबीर की वाणी का संग्रह उनके शिष्य धर्मदास ने बीजक नाम से सन् 1464 में किया।
- इस ग्रंथ में मुख्य रूप से पद्य भाग है। बीजक के तीन भाग किए गए हैं -
- रमैनी
- सबद
- साखी
Additional Informationब्रज-
- ब्रज का अर्थ है- चरागाह।
- यह पश्चिमी हिंदी की उपभाषा है।
- इसका आरंभिक रूप आदिकालीन साहित्य में पिंगल तथा मध्यकाल में भाखा नाम से मिलता है।
- उपबोलियाँ-
- अंतर्वेदी, भरतपुरी, माथुरी आदि।
- "मथुरा केंद्र है। दक्षिण में आगरे तक, भरतपुर, धौलपुर और करौली तक ब्रजभाषा बोली जाती है।
- ग्वालियर के पश्चिमी भागों तथा जयपुर के पूर्वी भाग तक भी यही प्रचलित है। उत्तर में इसकी सीमा गुड़गाँव के पूर्वी भाग तक पहुँचती है।
- उत्तर- पूर्व में इसकी सीमाएँ दोआब तक हैं।
- बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा तथा गंगापार के बदाँयू, बरेली तथा नैनीताल के तराई परगने भी इसी क्षेत्र में है।
अवधी-
- अवधी बोली पूर्वी हिंदी के अंतर्गत आती है
- यह उत्तर प्रदेश के "अवध क्षेत्र" में बोली जाती है।
- 'अवध' शब्द की व्युत्पत्ति "अयोध्या" से है।
- इसे 'बैसवाड़ी' भी कहा जाता है।
- यह उत्तर प्रदेश के "अवध क्षेत्र" लखनऊ, रायबरेली, सुल्तानपुर, बाराबंकी, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, अयोध्या, जौनपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज आदि में बोली जाती है।
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 3:
कबीर के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 3 Detailed Solution
कबीर के संदर्भ में कथन असत्य है- काव्य-रचना कबीर का प्रथम लक्ष्य था।
Key Pointsकबीर-
- जन्म-1398-1518 ई.
- भक्तिकाल की संत काव्यधारा के प्रमुख कवि है।
- गुरु-रमानंद
- शिष्य-धर्मदास
- रचना-बीजक
- इसका संकलन धर्मदास ने 1464 ई. में किया।
- इसके तीन भाग हैं- साखी, सबद और रमैनी।
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 4:
मूलकदास की रचनाओं के कौन से युग्म सही हैं ?
(A) भक्तिविवेक
(B) नादिरून्निकात
(C) सुखसागर
(D) ब्रह्म स्तुति
(E) ब्रजलीला
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है- (C), (D), (E)
Key Pointsमलूकदास-
-
योग, ज्ञान, निर्गुण भक्ति, वैराग्य आदि विषयों पर:
-
ज्ञानोोध
-
ज्ञापपरोछि
-
विभवविभूति
-
रत्नखान
-
-
कथानकों के आधार पर दार्शनिक चिंतन:
-
भक्ति विवेक
-
सुखसागर
-
-
अवतार व चरित्र वर्णन:
-
रामअवतार लीला
-
ब्रजलीला
-
ध्रुवचरित
-
-
उपदेशात्मक:
-
भक्तवच्छावली
-
बारहखड़ी
-
स्फुट पद
-
सबद
-
Important Pointsबाबा लाल
- रचनाएँ-
- असरारे-मार्फत
- नादिरून्निकात
हरिदास
- रचनाएँ-
- निरंजनी
- अष्टपदी जोग ग्रंथ
- ब्रह्म स्तुति
- हंस प्रबोध ग्रंथ
- निरपख मूल ग्रंथ
- पूजा जोग ग्रंथ
- समाधिजोग ग्रंथ
- संग्राम जोग ग्रंथ
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 5:
इनमें से कबीर किस मुगल शासक के समकालीन थे?
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है- सिकंदर लोदी
Important Points
कबीरदास-
- जन्म-1398-1518 ई.
- गुरु-रामानंद
- इनसे कबीर ने राम नाम ग्रहण किया था।
- ये सिकंदर लोदी के समकालीन थे।
- कबीर की वाणी का सनगढ़ उनके शिष्य धर्मदास ने 'बीजक'(1464 ई.) में किया।
- बीजक के 3 भाग हैं-
- रमैनी,सबद और साखी।
- भाषा-सधुक्कड़ी,पंचमेल खिचड़ी।
- हजारीप्रसाद द्विवेदी में इन्हें 'वाणी का डिक्टैटर' कहा है।
Top निर्गुण संत काव्य और कवि MCQ Objective Questions
कबीरदास की भाषा कौन-सी थी?
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 4 'सधुक्कड़ी’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
- कबीरदास की भाषा सधुक्कड़ी एवं पंचमेल खिचड़ी है।
- इनकी भाषा में हिंदी भाषा की सभी बोलियों के शब्द सम्मिलित हैं।
- राजस्थानी, हरयाणवी, पंजाबी, खड़ी बोली, अवधी, ब्रजभाषा के शब्दों की बहुलता है।
- अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
- कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे।
- वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे।
- वे हिन्दू धर्म व इस्लाम को न मानते हुए धर्म निरपेक्ष थे।
- उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की थी
किसके भक्तिपरक गीतों का संकलन 'अभंग' नाम से प्रसिद्ध है?
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF"नामदेव" का भक्तिपरक गीतों का संकलन 'अभंग' नाम से प्रसिद्ध है।
Key Points
- संत नामदेव के भक्तिपरक गीतों का संकलन 'अभंग' नाम से प्रसिद्ध है।
- इन अभंगों में नामदेव की भक्ति भाव की सरस धारा प्रवाहित है।
- इनमें उन्होंने अपने ईश्वर के प्रति गहन प्रेम और समर्पण का भाव व्यक्त किया है।
अन्य विकल्प-
- कबीरदास का भक्तिपरक गीतों का संकलन बीजक नाम से प्रसिद्ध है।
- मीराबाई का भक्तिपरक गीतों का संकलन संत ग्रंथावलीनाम से प्रसिद्ध है।
- शंकरदेव का भक्तिपरक गीतों का संकलन संत अष्टकम नाम से प्रसिद्ध है।
कबीरदास की भाषा थी
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF- कबीरदास की भाषा सधुक्कड़ी थी।
Key Points
- कबीरदास की भाषा सधुक्कड़ी एवं पंचमेल खिचड़ी है।
- अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Additional Information
- कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे।
- वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे।
- वे हिन्दू धर्म व इस्लाम को न मानते हुए धर्म निरपेक्ष थे।
- उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की थी।
''कबीरदास'' भक्तिकाल की किस धारा के कवि थे?
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में उचित उत्तर विकल्प 1 ‘संत काव्य धारा’ है। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- ''कबीरदास'' भक्तिकाल की संत काव्य धारा धारा के कवि थे।
- काव्यधारा की एक शाखा को संत काव्य धारा कहा जाता है। इस काव्य धारा को ज्ञानाश्रयी काव्यधारा भी कहा जाता है। अधिकांश विद्वान मानते हैं कि वह व्यक्ति जिसने ‘संत’ रूपी परमतत्व को प्राप्त कर लिया हो, वही संत है।
- संत काव्य धारा- परंपरा के प्रमुख कवि हैं– नामदेव, कबीरदास, रैदास, नानक, दादू दयाल, रज्जब दास, मलूक दास, सुंदर दास आदि।
अन्य विकल्प:
प्रेम काव्य धारा |
सूफी शब्द-'सूफ' से बना है जिसका अर्थ है 'पवित्र'। सूफी लोग सफेद ऊन के बने चोगे पहनते थे। उनका आचरण पवित्र एवं शुद्ध होता था। इस काव्य धारा को प्रेममार्गी /प्रेमाश्रयी /प्रेमाख्यानक /रोमांसीक कथा काव्य आदि नामों से भी जाना जाता है। |
राम काव्य धारा
|
जिन भक्त कवियों ने विष्णु के अवतार के रूप में राम की उपासना को अपना लक्ष्य बनाया वे 'राम काव्य धारा' के कवि कहलाए। कुछ राम भक्त कवि हैं- रामानंद, अग्रदास, ईश्वर दास, तुलसी दास, नाभादास, केशवदास, नरहरिदास आदि। |
कृष्ण काव्य धारा |
कृष्ण भक्ति काव्य धारा से अभिप्राय उस काव्यधारा से है, जिसमें कवियों ने भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण के चरित्र को आधार बनाकर अपने काव्य ग्रंथों की रचना की। इस परंपरा के कवियों ने कृष्ण के बाल रूप के एवं उनकी विविध लीलाओं के हृदयग्राही चित्र अपने काव्य में अंकित किए हैं। भागवत पुराण इस काव्यधारा का आधार ग्रंथ है। |
विशेष:
भक्ति काल- यह हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ युग है जिसको जॉर्ज ग्रियर्सन ने स्वर्णकाल, श्यामसुन्दर दास ने स्वर्णयुग, आचार्य राम चंद्र शुक्ल ने भक्ति काल एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लोक जागरण कहा। सम्पूर्ण साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएं इसी काल में प्राप्त होती हैं। |
इनमें से कौन संत कवि नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF- उपरोक्त विकल्पो में 'तुलसीदास' जी संत कवि नहीं है,अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 2 'तुलसीदास' सही उत्तर होगा।
Key Points
- कबीरदास, सुन्दर दास, मलूकदास यह निर्गुण धारा के संत कवि है।
- तुलसीदास, कृष्ण दास, सूरदास, छीत स्वामी:- यह सभी सगुण धारा के भक्ति रस के कवि है।
बीजक, किस संत की रचनाओ का संकलन है?
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF- "बीजक" के रचनाकार "कबीरदास" है। अतः उक्त विकल्पों में से कबीरदास विकल्प (2) सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- कबीर की रचनाओं का संकलन -- उनके शिष्य धर्मदास ने किया है।
Key Points
- कबीर की रचनाओं का संकलन "बीजक" कहलाता है।
- इस कृति को कबीर पंथ की पवित्र पुस्तक मानी जाती है।
- बीजक के तीन भाग है:-
- साखी
- सबद
- रमैनी
Additional Information
'तात्त्विक दृष्टि से न तो हम इन्हें (कबीर को) पूरे अद्वैतवादी कह सकते हैं और न एकेश्वरवादी।' - कबीर से सम्बन्धित यह विचार किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर विकल्प 2 होगा।
- यह कथन रामचंद्र शुक्ल का है।
- अपने हिंदी साहित्य के इतिहास में आ. शुक्ल ने लिखा है - तात्विक दृष्टि से हम ना तो इन्हें पूरे अद्वैतवादी कह सकते हैं और ना एकेश्वरवादी।
- कबीर भक्तिकाल में निर्गुण शाखा के ज्ञान मार्गी कवि हैं।
- आ. शुक्ल - "प्रतिभा उनमें बड़ी प्रखर थी, इसमें संदेह नहीं।"
- डॉ बच्चन सिंह - हिन्दी भक्ति काव्य का प्रथम क्रांतिकारी पुरस्कर्ता कबीर है।
- भाषा - सधुक्कड़ी, पंचमेल खिचड़ी
कबीर की पंक्तियां -
- मुझको तू क्या ढूंढे बंदे मैं तो तेरे पास में।
- हमन है इश्क मस्ताना हमन को होशियारी क्या?
संत-काव्य परम्परा का कौन-सा कवि अपनी विद्वत्ता (सर्वाधिक शिक्षित होने) के कारण प्रसिद्ध है ?
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF- संत - काव्य परंपरा में सुन्दरदास अपनी विद्वत्ता के कारण प्रसिद्ध है ।
- सुन्दरदास की प्रसिद्ध रचनाएं हैं - ज्ञान समुद्र , सुन्दर विलास ।
Key Points
- सुन्दरदास की भाषा परिष्कृत ब्रज है ।
- अलंकार व छंदों का सुन्दर नियोजन है इनकी रचनाओं में .
Important Points
- "नाथपंथियों में ये ही एक ऐसे व्यक्ति हुए हैं , जिन्हें समुचित शिक्षा मिली थी और जो काव्यकला की रीति आदि से अच्छी तरह परिचित थे - आचार्य रामचंद्र शुक्ल।
- भक्ति और ज्ञानचर्चा के अतिरिक्त नीति और देशाचार आदि पर सुन्दरदास ने बड़े सुन्दर पद्य कहे हैं।
Additional Information
- धर्मदास , कबीर के शिष्य थे
- रैदास अपने भगवान को सबमें व्यापक देखते हैं , कहीं कबीर की तरह परात्पर की ओर संकेत करते हैं।
जन्म-काल के आधार पर निम्नलिखित संत कवियों का सही अनुक्रम है:
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFजन्म-काल के आधार पर संत कवियों का सही अनुक्रम-2) गुरु नानक,दादू,मलूकदास,सुन्दरदास है।
Key Points
संत कवि |
जन्मकाल |
गुरु नानक |
1469 ई. |
दादू |
1544 ई. |
मलूकदास |
1574 ई. |
सुन्दरदास |
1596 ई. |
Important Points
- गुरु नानक सिखों के प्रथम (आदि )गुरु हैं।
- सुंदरदास ने गुरु सम्प्रदाय नामक अपने ग्रन्थ में दादू पंथ को 'परब्रह्म सम्प्रदाय' कहा है।
- संत मलूकदास की रचनायें-अलखबानी,गुरुप्रताप,ज्ञानबोध,पुरुषविलास,भगत बच्छावली,भगत विरुदावली,रतनखान,रामावतार लीला,साखी,सुखसागर आदि हैं।
- सुंदर दास की रचनायें- ज्ञान समुद्र,सुंदर विलास,सर्वांगयोगप्रदीपिका,पंचेंद्रिय चरित्र,सुख समाधि,अद्भुत उपदेश,स्वप्न प्रबोध,वेद विचार,उक्त अनूप,ज्ञान झूलना आदि हैं।
कबीर के दोहों की रचना किस भाषा में हुई है?
Answer (Detailed Solution Below)
निर्गुण संत काव्य और कवि Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF- कबीर की भाषा को "सधुक्कड़ी" कहा जाता है।
- पंचमेल खिचड़ी भी इस भाषा को श्याम सुन्दर दास ने कहा है ।
- कबीर ( 1398 - 1518 ई. ) का संत कवियों में प्रमुख स्थान है ।
Key Points
- रामचंद्र शुक्ल ने कबीर की भाषा को सधुक्कड़ी भाषा कहा है ।
- हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने कबीर को भाषा का डिक्टेटर कहा है ।
- कबीर की वाणी का संग्रह उनके शिष्य धर्मदास ने बीजक नाम से किया ।
- डॉ बच्चन सिंह ने लिखा है - " हिंदी भक्ति काव्य का प्रथम क्रान्तिकारी पुरस्कर्ता कबीर हैं । "
Important Points
- कबीर की प्रमुख रचनाएँ हैं - रमैनी , सबद , साखी हैं
- कबीर के सम्बन्ध में शुक्ल लिखते हैं - " भाषा बहुत परिष्कृत और परिमार्जित न होने पर भी कबीर की उक्तियों में कहीं - कहीं विलक्षण प्रभाव और चमत्कार है , प्रतिभा उनमें बड़ी प्रखर थी इसमें संदेह नहीं है । "
Additional Information
- रमैनी की भाषा - ब्रजभाषा और पूर्वी बोली
- सबद की भाषा - ब्रजभाषा और पूर्वी बोली
- साखी की भाषा - राजस्थानी , पंजाबी मिली खड़ी बोली