भ्रान्तिमान MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for भ्रान्तिमान - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Mar 26, 2025
Latest भ्रान्तिमान MCQ Objective Questions
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भ्रान्तिमान Question 1:
"पाय महावर देन को नाइन बैठी आय l
फिरि फिरि जानि महावरी एड़ी मीड़ति जाय ll"
इन काव्य - पंक्तियों में कौन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
भ्रान्तिमान Question 1 Detailed Solution
"पाय महावर देन को नाइन बैठी आय l फिरि फिरि जानि महावरी एड़ी मीड़ति जाय ll" इन काव्य - पंक्तियों में भ्रांतिमान अलंकार है।
- पंक्तियों का अर्थ-
- नाइन महावरी अर्थात् लाल रंग से सराबोर कपड़ा कहीं रखकर भूल जाती है और भ्रम से नायिका की एड़ी को ही महावरी समझ बैठती है, क्योंकि नायिका की एड़ी इतनी कोमल और लाल है कि नाइन को भ्रम हो जाता है और परिणाम स्वरूप वह बार-बार नायिका की एड़ियों को मींड़ती जाती है।
- यह दोहा लिया गया है-
- बिहारी सतसई
Key Pointsभ्रांतिमान अलंकार-
- जब किसी पद में किसी सादृश्य विशेष के कारण उपमेय (जिसकी तुलना की जाए) में उपमान (जिससे तुलना की जाए) का भ्रम उत्पन्न हो जाता है तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है।
- उदाहरण-
- ’’ओस बिन्दु चुग रही हंसिनी मोती उनको जान।’’
- प्रस्तुत पद में हंसिनी को ओस बिन्दुओं (उपमेय) में मोती (उपमान) का भ्रम उत्पन्न हो रहा है अर्थात् वह ओस की बूँदों को मोती समझकर चुग रही हैं, अतएव यहाँ भ्रांतिमान अलंकार है।
Important Pointsसंदेह अलंकार-
- जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं। जब यह दुविधा बनती है ,तब संदेह अलंकार होता है।
- अथार्त जहाँ पर किसी व्यक्ति या वस्तु को देखकर संशय बना रहे वहाँ संदेह अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- सारी बीच नारी है, कि नारी बीच सारी है।
कि सारी है की नारी है, कि नारी है की सारी है। - नारी के बीच साड़ी है या साड़ी के बीच नारी है इसका निश्चय नहीं हो रहा। अतः यहाँ पर संदेह बना हुआ है इसीलिए यहाँ संदेह अलंकार है।
- सारी बीच नारी है, कि नारी बीच सारी है।
विशेषोक्ति अलंकार-
- कारण के उपस्थित होने पर भी कार्य ना होने की दशा में विशेषोक्ति अलंकार माना जाता है।
- उदाहरण-
- ‘नीर भरे निसिदिन रहें तऊ न प्यास बुझय।’
- इस पंक्ति में प्यास बुझाने का कारण नीर उपस्थित है पर प्यास बुझाने का कार्य नहीं हो पा रहा है। अतः यहां विशेषोक्ति अलंकार है।
समासोक्ति अलंकार-
- जहाँ प्रस्तुत में अप्रस्तुत का बोध (ज्ञान) होता है वहाँ समासोक्ति अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- कुमुदिनी हूँ प्रफूलित भाई , साँझ कलानिधी जोई।
भ्रान्तिमान Question 2:
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
कपि करि हृदय विचारि दीन्हि मुद्रिका डारि तब ।
जानि अशोक अंगार, सीय हरषि उठि कर गहेउ ।।
Answer (Detailed Solution Below)
भ्रान्तिमान Question 2 Detailed Solution
इन पंक्तियों में भ्रांतिमान अलंकार है।
यह पंक्ति रामचरित मानस पंचम सोपान से लिया गया है।
रचनाकार- तुलसीदास
Key Pointsभवार्थ-
- तब हनुमान जी ने हदय में विचार कर (सीता जी के सामने) अँगूठी डाल दी, मानो अशोक ने अंगारा दे दिया।
- यह समझकर सीताजी ने हर्षित होकर उठकर उसे हाथ में ले लिया।
भ्रान्तिमान अलंकार-
-
जब एक जैसे दिखाई देने के कारण एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लिया जाता है या समानता के कारण किसी दूसरी वस्तु का भ्रम होता है तब इसे भ्रांतिमान अलंकार कहते हैं।
Additional Informationवीप्सा अलंकार-
- जब दुःख,आश्चर्य,आदर,शोक,हर्ष इत्यादि जैसे विस्मयादिबोधक भावों को व्यक्त करने के लिए शब्दों की पुनरावृत्ति की जाए तब उसे वीप्सा अलंकार कहते हैं।
- उदाहरण-
- मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधामय।
- राधा मन मोहि-मोहि मोहन मयी-मयी।।
सन्देह अलंकार-
- रूप रंग आदि के स्रादिश्य से जहाँ उपमेय में उपमान का संशय बना रहे या उपमेय के लिए दिए गये उपमानों में संशय रहे, वहां सन्देह अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
- सारी ही की नारी है कि नारिकी ही सारी है।
उदाहरण अलंकार-
- जब दो वाक्यों में साधारण धर्म की भिन्नता सहित, वाचक शब्दों के द्वारा समानता दिखलाई जाती है, तब उदाहरण अलंकार होता है।
भ्रान्तिमान Question 3:
'बेसर - मोती - दुति - झलक परी अधर पर आनि।
पट पोंछती चूनो समुझि नारी निपट अयानि।'
उपर्युक्त पंक्तियों में इनमें से कौन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
भ्रान्तिमान Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर 'भ्रान्तिमान' है।
Key Points
- उपर्युक्त पंक्ति बिहारी सतसई से लिया गया है।
- जिसके लेखक बिहारी लाल है।
- पंक्ति की व्याख्या:
- ( नाक में पहने गए बेसर मे गूँथे मोतियों की सफेद झलक ओठो पर पड़ रही है। नायिका उसे चूने का दाग समझकर दर्पण में देखकर छुड़ाना चाहती है। )
- पंक्ति मे नायिका को भ्रम हो रहा है। अतः भ्रान्तिमान अलंकार है।
- भ्रान्तिमान अलंकारः- एक जैसी समानता के कारण एक वस्तु को अन्य वस्तु समझना ही भ्रान्तिमान अलंकार है।
Additional Information
अलंकार | परिभाषा | उदाहरण |
संदेह | समानता के कारण उपमेय और उपमान में अनिश्चितता का आभास होता है। |
1)सारी है की नारी है की सारी बीच नारी है की नारी बीच सारी । 2) मुख है की चंद्र |
विरोधाभास | दो वस्तुओ में वस्तुतः विरोध न होते हुए भी विरोध होता है। | 1) भर लााऊँ सीपी में सागर , प्रियः मेरी अब हार विजय क्या |
मानवीकरण अलंकार | जब किसी गद्य या पद्य में प्रकृति को मनुष्य की तरह व्यवहार करते दिखाया जाता है तो वो उसे मानवीयकरण अलंकार है। |
1) मेध आये वन ठन के , संज संवर के 2) आये वसंत महंत 3) फूल हंसे कलियाँ मुसकाई |
Confusion Points
- संदेह और भ्रान्तिमान अलंकार मे भ्रम की स्थिति बनती है।
- परंतु भ्रान्तिमान में भ्रम स्पष्ट हो जाता है।
- जबकि संदेह में भ्रम की स्थिति बनी हुई ही रह जाती है।
भ्रान्तिमान Question 4:
‘पायँ महावर देन को नाइन बैठी आय। फिरि-फिरि जानि महावरी, एड़ी मीड़ति जाय।’ में कौन-सा अलंकार है?