Question
Download Solution PDFनिम्न में से हिन्दी और उर्दू के संघर्ष में शुद्ध भारतीय संस्कारवती हिन्दी को ही हिन्दी का वास्तविक रूप किसने माना ?
This question was previously asked in
MPPSC Assistant Prof 2022 (Hindi) Official Paper-II (Held On: 28 Jan, 2024)
Answer (Detailed Solution Below)
Option 2 : राजा लक्ष्मण सिंह
Free Tests
View all Free tests >
MPPSC Assistant Professor UT 1: MP History, Culture and Literature
2.3 K Users
20 Questions
80 Marks
24 Mins
Detailed Solution
Download Solution PDFहिन्दी और उर्दू के संघर्ष में शुद्ध भारतीय संस्कारवती हिन्दी को ही हिन्दी का वास्तविक रूप राजा लक्ष्मण सिंह ने माना
Key Pointsराजा लक्ष्मण सिंह-
- राजा लक्ष्मण सिंह ने 'शकुंतला नाटक' की रचना की।
- इन्होने हिन्दी को हिन्दी संस्कृति के अनुकूल संस्कृतनिष्ठ बनाने की चेष्टा की।
- इन्होने आगरा से प्रजा-हितैषी पत्र निकाला और कालिदास के अभिज्ञान शाकुन्तलम्, रघुवंश एवं मेघदूतम् का हिन्दी में अनुवाद किया।
Important Points राजा शिवप्रसाद 'सितारेहिन्द'
- राजा शिवप्रसाद 'सितारेहिन्द' (1824-1895) हिन्दी के उन्नायक एवं साहित्यकार थे।
- शिवप्रसाद शिक्षा-विभाग में कार्यरत थे।
- शिवप्रसाद के प्रयत्नों से स्कूलों में हिन्दी को प्रवेश मिला।
- उस समय हिन्दी की पाठ्यपुस्तकों का बहुत अभाव था।
- शिवप्रसाद ने स्वयं इस दिशा में प्रयत्न किया और दूसरों से भी लिखवाया।
- शिवप्रसाद ने 'बनारस अखबार(1845)' नामक एक हिन्दी पत्र निकाला और इसके माध्यम से हिन्दी का प्रचार-प्रसार किया।
- यह पत्रिका साप्ताहिक थी।
- इनकी भाषा में फारसी-अरबी के शब्दों का अधिक प्रयोग होता था।
केशवदास-
- जन्म- 1555-1617 ई.
- रीतिकाल की रीतिबद्ध शाखा के प्रमुख कवि है।
- यह निम्बार्क सम्प्रदाय में दीक्षित थे।
- उपनाम- वेदांती मिश्र।
- ये इंद्रजीत सिंह के दरबारी कवि थे,'कविप्रिया' ग्रन्थ की रचना इंद्रजीत सिंह की प्रेमिका गणिका प्रवीण राय को शिक्षा देने के लिए की गयी थी।
- रचनाएँ-
- रसिकप्रिया(1591 ई.)
- कविप्रिया(1601 ई.)
- रामचंद्रिका(1601 ई.)
- रतनबावनी(1607 ई.) आदि।
- रामचन्द्र शुक्ल-
- "केशवदास जी संस्कृत के पंडित थे अतः शास्त्रीय पद्धति से साहित्यचर्चा का प्रचार भाषा मे पूर्ण रूप से करने की इच्छा उनके लिए स्वभाविक थी।"
Last updated on Feb 10, 2025
-> The last date to apply for MPPSC Assistant Professor Recruitment has been extended to 10th April 2025.
-> MPPSC Assistant Professor 2025 Notification has been released for 2117 vacancies..
-> The selected candidates will get a salary of Rs. 57,700 to Rs. 1,82,400.
-> Candidates who want a successful selection for the post must refer to the MPPSC Assistant Professor Previous Year Papers to understand the type of questions in the examination.