एक मजिस्ट्रेट द्वारा समन मामलों के विचारण के संदर्भ में निम्न में से कौनसा कथन सही है?

  1. न्यायालय अभियुक्त तथा अभियोजन को सुनने के पश्चात आरोप विरचित करेगा।
  2. न्यायालय अभियोजन तथा अभियुक्त को सुनने के पश्चात अभियुक्त को उन्मोचित कर सकेगा।
  3. अभियुक्त को सुनने की न्यायालय के लिए कोई बाध्यता नहीं है तथा उसे अपराध की विशिष्टियां बताई जायेंगी।
  4. उपरोक्त में से कोई नहीं।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अभियुक्त को सुनने की न्यायालय के लिए कोई बाध्यता नहीं है तथा उसे अपराध की विशिष्टियां बताई जायेंगी।

Detailed Solution

Download Solution PDF

सही उत्तर विकल्प 3 है। Key Points 

  • दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 251 आरोप का सार बताने से संबंधित है।
  • जब किसी समन मामले में अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होता है या लाया जाता है, तब उस अपराध का विवरण, जिसका उस पर आरोप है, उसे बताया जाएगा और उससे पूछा जाएगा कि क्या वह दोषी है या उसके पास कोई बचाव है , किन्तु औपचारिक आरोप विरचित करना आवश्यक नहीं होगा।

Additional Information
समन के मामले
ऐसा मामला जिसमें अपराध शामिल हो, जो वारंट मामला नहीं है, उसे समन मामला कहा जाता है।
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 2(w) के अनुसार, समन-मामला किसी अपराध से संबंधित मामला है, न कि वारंट-मामला है।
समन मामले वे हैं जिनमें अधिकतम 2 वर्ष की जेल की सजा हो सकती है।

Hot Links: teen patti 51 bonus teen patti yes teen patti joy 51 bonus teen patti rummy