समन मामले में, जब अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होता है या लाया जाता है, तो यह आवश्यक नहीं होगा कि:

  1. उस अपराध का विवरण बताएं जिसका वह आरोपी है
  2. पूछें कि क्या वह दोषी है
  3. पूछें कि क्या उसके पास कोई बचाव है?
  4. यथारीति ​आरोप विरचित करना

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : यथारीति ​आरोप विरचित करना

Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 4 है।

Key Points  CrPC की धारा 251 के अनुसार आरोप का सार बताया जाना चाहिए

  • जब किसी समन मामले में अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होता है या लाया जाता है, तब उस अपराध की विशिष्टियां, जिसका उस पर आरोप है, उसे बताई जाएंगी और उससे पूछा जाएगा कि क्या वह दोषी है या उसके पास कोई बचाव करने को है, किन्तु यथारीति आरोप विरचित करना आवश्यक नहीं होगा।

Additional Information  सम्मन मामले:-

  • ऐसा मामला जिसमें अपराध शामिल हो, जो वारंट मामला नहीं है, उसे समन मामला कहा जाता है।
  • दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 2(w) के अनुसार, समन-मामला किसी अपराध से संबंधित मामला है, न कि वारंट से सम्बंधित है।
  • समन मामले वे हैं जिनमें अधिकतम 2 वर्ष की जेल की सजा हो सकती है।
  • CrPC की धारा 251 से 259 में मजिस्ट्रेट द्वारा समन मामलों की सुनवाई के संबंध में प्रावधान निर्धारित किए गए हैं।
  • इसमें संबंधित दस्तावेज व अन्य चीजें अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया गया है।
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